भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक करीब 10630 लड़कियों ने स्कूल छोड़ा है। मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में टॉयलेट, लाइब्रेरी, लैब जैसी जरूरी सुविधाएं ही नहीं है। प्रदेश के 36 हजार स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं है, जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देना है।
MP के स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश के प्राइमरी और मिडिल स्कूलों की रिपोर्ट जारी की है। इसमें चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। हालात ऐसे हैं कि गर्ल्स स्कूल में टॉयलेट यूज करने लायक नहीं हैं। लड़कियों को बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। पीरियड्स के दौरान साफ टॉयलेट न होने से बेटियां बीमारियों की शिकार होती हैं। स्कूलों में सुरक्षा बड़ा मुद्दा है। आसपास असामाजिक तत्वाें का जमावड़ा डर का माहौल बनाता है। पीरियड्स के दौरान लड़कियों को सैनेटरी पैड्स नहीं मिल पाते।
स्मार्ट क्लास रूम और कम्प्यूटर शिक्षा को अनिवार्य किया गया है। अब ऐसे में स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं होगी, तो स्मार्ट क्लासरूम की कल्पना नहीं की जा सकती है। सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर, प्रिंटर सहित तमाम संसाधन सरकार उपलब्ध करा रही है, लेकिन शिक्षक कहते हैं कि स्कूलों में सामान की सुरक्षा कैसे होगी। स्कूलों के लिए चौकीदार की व्यवस्था नहीं हैं। ऐसे में रात में चोर और असामाजिक तत्व सामान की चोरी कर ले जाते हैं। पहली से 12वीं तक के स्कूलों में एक भी चौकीदार नहीं है, पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। डेढ़ हजार स्कूलों में क्लासरूम नहीं हैं।