जबलपुर। मध्यप्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट जबलपुर में कहा है कि ऑटोनोमस व अल्पसंख्यक संस्थान खुद को प्रवेश नहीं बनाने के लिए स्वतंत्र रहेंगे। मध्यप्रदेश सरकार ने विभिन्न कॉलेजों में ऑनलाइन एडमिशन के लिए जारी दिशा निर्देशों को स्पष्ट करते हुए कहा है कि जिन ऑटोनॉमस व अल्पसंख्यक संस्थाओं के पास"नैक ए" या उससे ऊपर का दर्जा प्राप्त है, वे स्वयं की प्रवेश नीती बनाने के लिए स्वतंत्र हैं। ऐसे संस्थानों पर सरकार की प्रवेश नीती लागू नहीं होगी।
गौरतलब है कि सेंट अलॉयसियस कॉलेज सोसाइटी की तरफ से याचिका दायर कर बताया गया कि राज्य सरकार ने 12 मई 2022 को शैक्षणिक सत्र 2022- 23 के लिए ऑनलाइन प्रवेश के लिए गाइडलाइन जारी की है। एडमिशन के लिए जारी किए गए नियमों में सरकार ने एक नया क्लॉज जोड़ दिया है, जिसके कारण। संस्थाओं का हित प्रभावित हुआ है। नए क्लॉस 26.11 के तहत 1:1 का प्रावधान रखा गया है। यानी एक अल्पसंख्यक और एक गैर अल्पसंख्यक को सीख आवंटित की जाएगी। याचिकाकर्ता संस्था ने इस नए नियम को चुनौती दी थी।
चीफ जस्टस रवि मलईमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने सरकार के इस जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए उस याचिका का अंतिम निराकरण कर दिया, जिसमें सरकार की पॉलिसी को चुनौती दी गई थी। शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आशीष बर्नार्ड ने हाई कोर्ट में उक्त जवाब पेश किया एवं कहा कि मध्य प्रदेश में ऑटोनोमस व अल्पसंख्यक संस्थान खुद की प्रवेश नीती बनाने के लिए स्वतंत्र हैं।