जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक रिटायर्ड कर्मचारी की इलाज के अभाव में हुई मृत्यु के मामले में शासन एवं उससे संबंधित प्राइवेट अस्पताल के संचालकों को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है।
याचिकाकर्ता विपिन कुमार बारी द्वारा याचिका में बताया गया कि उनके पिता रमेश प्रसाद बारी जो को पूर्व में व्हीकल फैक्ट्री से सेवानिवृत्त होकर CGHS कार्ड धारक थे दिनांक 21/10/2020 याचिकाकर्ता के पिता को सीने में दर्द कि शिकायत होने पर उनके परिवार के द्वारा उन्हें उपचार हेतु CGHS द्वारा मान्यता प्राप्त सिटी हॉस्पिटल नागरथ चौक लेकर गए थे लेकिन हॉस्पिटल में मूलभूत सुविधा न होने का हवाला देते हुए अस्पताल प्रशासन द्वारा प्राथमिक उपचार करने से मना कर दिया गया।
जिस पर मरीज की हालत गंभीर होता देख परिवार जनों द्वारा आननफानन में एंबुलेंस के द्वारा मरीज को गंभीर स्थिति में एक अन्य CGHS द्वारा मान्यता प्राप्त मार्बल सिटी हॉस्पिटल ले जाया गया। जहाँ के डॉक्टरों द्वारा CGHS कार्ड होने के बावजूद मरीज के परिजनों से 25000 रुपए की राशि की मांग की गई। मांगी गई रकम देने के बाद भी मरीज को आईसीयू में भर्ती नहीं किया गया।
समय पर उचित इलाज नहीं मिलने के कारण उनके पिता की मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता का दावा है कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा उनके खिलाफ एक आपराधिक प्रकरण दर्ज करा दिया गया ताकि वह लोग अस्पताल के खिलाफ कोई शिकायत ना करें। न्यायालय में उनके द्वारा दर्ज कराया गया मामला गलत साबित हुआ और सभी लोग दोष मुक्त घोषित किए गए।
याचिकाकर्ता के के अधिवक्ता श्री धीरज कुमार तिवारी द्वारा माननीय न्यायालय में यह तथ्य रखा गया कि उक्त मामला संविधान में प्रदत्त स्वास्थ्य का अधिकार के उल्लंघन का मामला है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति श्री शारद अरविन्द धर्माधिकारी की एकलपीठ ने सचिव मध्य प्रदेश शासन, निदेशक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मध्यप्रदेश, अस्पताल प्रबन्धन सहित 5 अन्य को नोटिस जारी करते हुए 4 हफ्ते में जवाब प्रस्तुत करने को कहा है।