भोपाल। यह बड़ी खबर इसलिए है क्योंकि एक तो सागर में गोविंद सिंह राजपूत नेता बड़े हैं, दूसरे उनके पीछे ज्योतिरादित्य सिंधिया खड़े हैं और तीसरे टिंकू राजा को चुनाव जिताने के लिए क्या-क्या नहीं किया गया। फिर भी चुनाव हार गए। वह भी 5000 से ज्यादा वोटों से। ना केवल गोविंद सिंह राजपूत बल्कि सागर में ज्योतिरादित्य सिंधिया की छवि भी प्रभावित हुई है।
अरविंद सिंह उर्फ टिंकू राजा, सागर वालों के लिए यह बड़ा जाना पहचाना नाम है। जब नामांकन भरा था तो सब ने मान लिया था कि टिंकू राजा को जीतने से कोई नहीं रोक सकता। जिला पंचायत के वार्ड क्रमांक 5 से चुनाव लड़ रहे थे। उनके समर्थकों ने तो उन्हें जिला पंचायत का अध्यक्ष घोषित कर दिया था। टिंकू राजा के पिता गुलाब सिंह राजपूत, राहतगढ़ जनपद पंचायत के अध्यक्ष रहे हैं।
उनको चुनाव हराने वाले प्रत्याशी सरबजीत सिंह लोधी ना केवल उम्र में उनसे छोटे हैं बल्कि अनुभव भी बहुत ज्यादा नहीं है। निवर्तमान जिला पंचायत उपाध्यक्ष तृप्ति सिंह के भतीजे हैं। वे केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह के समर्थक हैं। यानी कि इस चुनाव में डॉक्टर गोविंद सिंह राजपूत और प्रह्लाद पटेल के बीच में दरार थोड़ी और चौड़ी कर दी है।
टिंकू राजा तो मिलनसार है, हार का कारण कुछ और होगा
लोगों का कहना है कि टिंकू राजा तो बड़े मिलनसार आदमी है। वार्ड क्रमांक 5 के कई गांव में तो उनके व्यक्तिगत संबंध है। वर्षों से उठना-बैठना, आना-जाना है। चुनाव हारना और इतने बड़े वोटों के अंतर से हारना, स्थानीय लोगों को समझ में नहीं आ रहा है। उनका कहना है कि हार का कारण कुछ और होगा। यदि टिंकू राजा, अपने दम पर मैदान में उतरते तो शायद इससे ज्यादा वोट मिल जाते।