जबलपुर। पर्यटन के नाम पर विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग ओमकारेश्वर की पहाड़ी (ओंकार पर्वत) पर किए जा रहे निर्माण कार्यों पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। सरकार से सवाल किया है कि संरक्षित क्षेत्र में निर्माण कार्य क्यों कराए जा रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने प्रमुख सचिव, संस्कृति कार्य विभाग, उप संचालक, आर्कियोलाजी स्कल्पचर एंड म्यूजियम विभाग, कलेक्टर खंडवा के अलावा एसडीओ व डीएफओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने अंतरिम आदेश के तहत आगामी सुनवाई तक उक्त क्षेत्र में किसी भी तरह की निर्माण संबंधी गतिविधि पर रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ता इंदौर की लोकहित अभियान समिति की ओर से अधिवक्ता डीके त्रिपाठी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि ओंकारेश्वर के खसरा क्रमांक दो, तीन व नौ की करीब 35 हेक्टेयर का क्षेत्र संरक्षित घोषित किया गया है। वर्ष 2005 में इस संबंध में सरकार ने अधिसूचना जारी की है। पिछले नोटिफिकेशन को निरस्त किए बिना यहां कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता।
इसके बावजूद संस्कृति विभाग के जरिए ओंकारेश्वर ट्रस्ट बनाकर यहां पर्यटन स्थल का निर्माण किया जा रहा है। इसके तहत परिसर में म्यूजियम, पार्किंग, स्टेचू, टूरिस्ट सेंटर बनाया जाना प्रस्तावित है। इसके लिए लगभग चार हजार पेड़ भी काटे जाने हैं। स्थानीय स्तर पर इसका बहुत विरोध हुआ। हस्ताक्षर अभियान के तहत करीब एक लाख लोगों ने साइन किए। संबंधित अधिकारियों को आवेदन दिया गया, लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं की गई तो हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई।
मध्यप्रदेश मान्यूमेंट्स साइट्स एंड रिमेन्स एक्ट 1964 के तहत ओंकारेश्वर को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। नियमानुसार उक्त एक्ट की धारा तीन ( चार) के तहत पूर्व में जारी किए गए नोटिफिकेशन को निरस्त किए बिना संरक्षित क्षेत्र का स्वरूप हर्गिज नहीं बदला जा सकता।