जबलपुर। यदि कोई रिटायर्ड कर्मचारी किसी मामले में अपराधी घोषित हो जाता है और न्यायालय द्वारा उसे दंडित किया जाता है तो नियम अनुसार उसकी पेंशन बंद कर दी जाती है परंतु यदि वह न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध अपील करता है तो प्रोविजनल पेंशन का हकदार हो जाता है। यह फैसला हाईकोर्ट ने दिया।
सेवानिवृत्त पटवारी कन्हैयालाल दामले विरुद्ध मध्यप्रदेश शासन एवं होशंगाबाद कलेक्टर मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने फैसला सुना दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ओम शंकर पांडे एवं अंचन पांडे ने न्यायालय के समक्ष उनका पक्ष प्रस्तुत किया। अधिवक्ताओं ने बताया कि रिटायरमेंट की कुछ दिन पहले एक साजिश के तहत याचिकाकर्ता को लोकायुक्त के ट्रैप में फंसा दिया गया था।
वकीलों ने दलील दी कि पेंशन रूल्स के नियम 64 में प्रोविजनल पेंशन का प्रावधान है, लेकिन याचिकाकर्ता को 6 साल तक प्रोविजनल पेंशन के लाभ से वंचित रखा गया। शासन की ओर से प्रस्तुत हुए अधिवक्ता ने बताया कि होशंगाबाद की ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता रिटायर्ड पटवारी को दोषी घोषित करते हुए दंडित किया है। याचिकाकर्ता के वकीलों ने बताया कि उन्होंने ट्रायल कोर्ट के डिसीजन के खिलाफ अपील की है।
हाई कोर्ट के जस्टिस एमएस भट्टी की एकल पीठ ने अपने डिसीजन में कहा कि यदि निर्णय के खिलाफ अपील कर दी गई है तो निर्णय स्थगित हो जाता है अतः सेवानिवृत्त कर्मचारी को नियमानुसार प्रोविजनल पेंशन का लाभ मिलना चाहिए। उच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश शासन एवं होशंगाबाद कलेक्टर को आदेशित किया है कि वह याचिकाकर्ता की प्रोविजनल पेंशन शुरू करें।