भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में अब तक माना जाता था कि ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या प्रभावशाली है लेकिन ब्राह्मण वोट बैंक नहीं है। ब्राह्मण किसी भी मुद्दे पर एकजुट नहीं होते और किसी भी कारण से एक साथ एक तरफा वोटिंग नहीं करते लेकिन सिंगरौली ने यह मिथक तोड़ दिया है।
सिंगरौली में भाजपा क्यों हारी- सिर्फ एक कारण
सिंगरौली नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी की हार की समीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। यहां भाजपा के चुनाव हारने का सिर्फ एक कारण है, ब्राह्मणों की नाराजगी। मध्य प्रदेश का चुनावी रिकॉर्ड गवाह है, ब्राह्मण कभी जातिवाद के आधार पर वोट नहीं करते, कैंडिडेट के ओबीसी होने से प्रॉब्लम नहीं थी। प्रॉब्लम कैंडिडेट से ही थी। वह कुछ जाति विशेष के वोट प्राप्त करने के लिए ब्राह्मणों के प्रति आपत्तिजनक बयान दे रहा था। वीडियो भी वायरल हुआ था, पार्टी ने उसे रोका नहीं। इसलिए ब्राह्मण नाराज हो गए। अभी भी नाराज है और विधायक राम लल्लू वैश्य का भविष्य खतरे में है।
ब्राह्मणों ने 2018 में ही अपना स्टैंड क्लियर कर दिया था
मध्य प्रदेश में ब्राह्मणों ने 2018 में ही अपना स्टैंड क्लियर कर दिया था। कोई माई का लाल और ब्राह्मण कहां जाएंगे जैसे बयान जब भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं की तरफ से आए, तो ब्राह्मणों को एक तरफा वोटिंग करने के लिए बाध्य होना पड़ा। उस चुनाव में ब्राह्मणों ने भाजपा को वोट नहीं दिया। ज्यादातर वोट कांग्रेस को मिले, कुछ नोटा को, कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों को और एक बड़ी संख्या अनुपस्थित रही। आम आदमी पार्टी के रूप में ब्राह्मणों को भाजपा का विकल्प मिल गया है।