भोपाल। अरुण यादव को निमाड़ में कांग्रेस यूनिवर्सिटी का कुलपति कहा जाता है लेकिन नगर निगम चुनाव की परीक्षा में राजनीति की निमाड़ यूनिवर्सिटी का कुलपति फेल हो गया और विष्णु दत्त शर्मा के स्टूडेंट सुरेंद्र शर्मा ने टॉप कर दिखाया। अरुण यादव के पोलिटिकल कैरियर पर ऐसा दाग शायद पहले कभी नहीं लगा था। कांग्रेस पार्टी के हाथ से जीती हुई सीट कब निकल गई पता ही नहीं चला।
सतना नगर निगम में भले ही अजय सिंह राहुल के पसंद का प्रत्याशी ना रहा हो परंतु खंडवा नगर निगम में महापौर के पद पर कांग्रेस पार्टी ने अरुण यादव की मर्जी के मुताबिक आशा अमित मिश्रा को टिकट दिया था। उनके सामने भारतीय जनता पार्टी की अमृता अमर यादव को मैदान में उतारा था। परिस्थितियां बिल्कुल ग्वालियर की तरह चुनौतीपूर्ण हो गई थीं। अरुण यादव की रणनीति का सामना करना आसान काम नहीं था। चुनाव प्रचार की शुरुआत में ही राजनीति के पंडितों ने अरुण यादव के कारण खंडवा की सीट कांग्रेस की झोली में घोषित कर दी थी।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने बिल्कुल नए तरीके की पॉलिटिकल स्ट्रेटजी का उपयोग किया। अरुण यादव का मुकाबला करने के लिए अपनी कार्य समिति के सदस्य सुरेंद्र शर्मा को चुनाव प्रभारी बनाकर खंडवा भेजा। 28 जून को खंडवा में वीडी शर्मा की रणनीति पर काम शुरू हुआ और देखते ही देखते माहौल बदलता चला गया।
अरुण यादव इससे पहले भी चुनाव हार चुके हैं परंतु ऐसी शर्मनाक हार शायद उनके राजनीतिक जीवन में ना तो इससे पहले हुई और ना ही इसके बाद होगी। हार पर डबल हार वाली बात तो यह है कि जिस निर्दलीय पार्षद को अरुण यादव ने माला पहनाई थी, दूसरे दिन भाजपा के चुनाव प्रभारी सुरेंद्र यादव के साथ नजर आए.
इधर विष्णु दत्त शर्मा ने साबित कर दिया कि चुनावी रणनीति में वह कितने माहिर हैं और उनकी टीम ग्राउंड जीरो पर जाकर किस स्तर का काम कर सकती है।