भोपाल। कांग्रेस पार्टी के घोषित सीएम कैंडिडेट एवं प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के लिए चिंता भरी खबर है। जिस छिंदवाड़ा मॉडल के नाम पर वह पूरे मध्यप्रदेश में वोट मांगते हैं, उसी छिंदवाड़ा में उनको पूर्ण बहुमत नहीं मिला। 26 सदस्यों की जिला पंचायत में कमलनाथ के केवल 12 प्रत्याशी जीत पाए। यह संख्या पूर्ण बहुमत से 2 (लगभग 8%) कम है।
मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा यानी कमलनाथ और कमलनाथ यानी छिंदवाड़ा कहा जाता है। यहां कांग्रेस पार्टी के सभी डिसीजन हमेशा कमलनाथ ही लेते हैं। भले ही पार्टी की तरफ से टिकट जारी नहीं हुए लेकिन जिला पंचायत के सभी प्रत्याशियों के नाम कमलनाथ के घर शिकारपुर से फाइनल हुए थे। उम्मीद की जा रही थी कि 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले कमलनाथ छिंदवाड़ा में भाजपा का सूपड़ा साफ करके अपनी ताकत दिखाएंगे परंतु पूर्ण बहुमत भी प्राप्त नहीं कर पाए।
26 सदस्यों के सदन में कमलनाथ के पास केवल 12 सदस्य हैं और 11 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का मजबूत कब्जा हो गया। दो निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीत गए हैं और एक सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के उम्मीदवार को विजय प्राप्त हुई है। यानी कि छिंदवाड़ा में बिल्कुल वही हालत हो गई जो 2018 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में हो गई थी।
निर्दलीय सदस्यों का समर्थन कमलनाथ की मजबूरी हो गया है। यहां भी कमलनाथ के सामने चैलेंज है। क्या वह निर्दलीय सदस्यों से समर्थन प्राप्त कर पाएंगे। यदि भारतीय जनता पार्टी ने छिंदवाड़ा जिला पंचायत में अध्यक्ष पद जीत लिया तो कमलनाथ के लिए काफी शर्मनाक स्थिति बन जाएगी। 2023 के विधानसभा चुनाव प्रचार में कमलनाथ, छिंदवाड़ा मॉडल का उदाहरण नहीं दे पाएंगे।
बात सिर्फ इतनी सी है कि जब उनके अपने छिंदवाड़ा जिले में जनता ने उनके प्रत्याशियों को पसंद नहीं किया तो मध्य प्रदेश की जनता विधानसभा चुनाव में उनके प्रत्याशियों को क्यों पसंद करेगी।