भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते, कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के कट्टर समर्थक नारायण त्रिपाठी लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। कमलनाथ का साथ देने के बाद भी भाजपा ने उन्हें निष्कासित नहीं किया और कमलनाथ की कुर्सी संकट में आ जाने के बावजूद नारायण त्रिपाठी ने इस्तीफा नहीं दिया। सब कुछ मध्यप्रदेश की पारंपरिक राजनीति से थोड़ा अलग हो रहा है।
विंध्य क्षेत्र के नारायण त्रिपाठी कौन है
नारायण त्रिपाठी सतना जिले की मैहर विधानसभा सीट से विधायक हैं। मैहर विधानसभा के बारे में एक मिथक है कि पिछले चुनाव में जो पार्टी हार जाती है, अगले चुनाव में उसी को वोट देते हैं। नारायण त्रिपाठी ने इसका खूब फायदा उठाया। 2003 में सपा के टिकट पर चुनाव लड़े। पहली बार विधायक बने। तब उन्होंने मिथक पर भरोसा नहीं किया और 2008 में फिर सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2013 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, विधायक बने। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी में आ गए और विधायक बने।
नारायण त्रिपाठी के सामने चुनौती क्या है
कुल मिलाकर नारायण त्रिपाठी पार्टी बदल-बदल कर विधायक बन रहे हैं। 2023 में फिर से विधानसभा चुनाव आ रहे हैं। नारायण त्रिपाठी उन सभी पार्टियों का टिकट प्राप्त कर चुके हैं जिनका वोट बैंक मैहर विधानसभा सीट में है। अब यदि किसी आम आदमी पार्टी या बसपा का टिकट चाहेंगे तो सबसे पहले पार्टी का जनाधार बनाना पड़ेगा।
विंध्य क्षेत्र को एक नए नेता का इंतजार
इस सबके बीच एक इनोवेटिव पॉलिटिकल आईडिया है, जिस पर त्रिपाठी जी काम कर रहे हैं। स्वतंत्र विंध्य प्रदेश की मांग। विंध्य क्षेत्र में 30 विधानसभा सीट आती हैं। यदि इन पर फोकस किया जाए तो मध्य प्रदेश की राजनीति ही बदल जाएगी। पूरे विंध्य में अब कोई बड़ा नेता नहीं है। अजय सिंह राहुल भैया हैं, जो अपनी अकड़ में घूमते रहते हैं। विधानसभा और लोकसभा का चुनाव शर्मनाक तरीके से हार चुके हैं, 2018 के चुनाव में उनके प्रभाव वाली 30 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की दुर्गति हो गई थी लेकिन दिग्विजय सिंह के कारण आज भी क्षेत्रीय क्षत्रप बने हुए हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बराबर हो जायेंगे नारायण त्रिपाठी
इधर कमलनाथ, नारायण त्रिपाठी को सपोर्ट कर रहे हैं। यदि नारायण त्रिपाठी अपनी पार्टी बना लेते हैं। विंध्य क्षेत्र की 30 विधानसभा सीटों पर उनकी पार्टी कमलनाथ की कृपा से मजबूती से चुनाव लड़ती है, और जनता का आशीर्वाद मिल गया तो नारायण त्रिपाठी की राजनैतिक हैसियत, ज्योतिरादित्य सिंधिया के बराबर हो जाएगी। नारायण त्रिपाठी मध्यप्रदेश के रामविलास पासवान होंगे। सत्ता किसी भी पार्टी की रहे, पावर त्रिपाठी जी के पास बनी रहेगी। (सिंधिया से तात्पर्य- एक ऐसा नेता जिसके पास सरकार गिराने लायक विधायकों की संख्या हो।)