आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी यह युवाओं की प्रतिभा के साथ छलावा और उनके परिवार के साथ धोखा है। आखिर परीक्षा सम्पन्न होने के बाद परीक्षा परिणाम जारी करने में क्यों लेटलतीफी की जाती है? इस आधुनिक युग में ऑनलाइन पेपर होने के बाबजूद परिणाम में देरी होना संदेह के घेरे में है। इस ओर अपना ध्यान आकृष्ट करने की जरूरत है कि आखिर Professional Examination Board, Bhopal के परीक्षा परिणाम जारी होने में इतनी देरी क्यों की जाती है?
मप्र के शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार जी को शिक्षा विभाग की खामियाँ और उन्हें दुरुस्त करने के तरीकों के अलावा सब पता है। स्कूलों को खोल दिया गया है उनकी औपचारिकताएं पूरी हो गयी हैं बस इसके अलावा शिक्षा मंत्री की कोई जिम्मेदारी नहीं है और न ही सरकार की। आज 2011 के बाद शिक्षा विभाग में लाखों पद खाली पड़े रहते हैं सरकार भारतीय जनता पार्टी की फिर चुनाव के पहले 2018में भर्ती आती है और 2022चल रहा है भर्ती पूरी नहीं हो पाती?आखिर आप लोग चाहते क्या हैं?जनता की यह कैसी सेवा?युवाओं के लिए यह एक-एक रात काली है। माना कि आपकी मौज है पर जनता की सोचिए।
कभी सोचिये की मप्र में आखिर चल क्या रहा है। यहां सरकारी नौकरी के फॉर्म भरने के 2 साल बाद परीक्षा और उसके 1.5 साल बाद परिणाम आते हैं। फिर उसके साल भर बाद भर्ती शुरू होती है और भर्ती पूर्ण करने में 2 साल लग जाते हैं और भर्ती पूर्ण नहीं हो पाती है। इसे कैसी सरकार कहें?
एक कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया थे। जनता के हक की बात का ढकोसला दिखाकर अपना कैरियर सेट करने की लालसा में भाजपा ज्वाइन कर लेते हैं। इसके बाद जोर जुगत करके केंद्र में मंत्री भी बन जाते हैं और "अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता" को चरितार्थ करते हैं। ऐसे लोगों से क्या उम्मीद?
आज ऐसा लगता है कि मप्र सरकार का गठन सिर्फ चुनाव प्रचार करने के लिए किया गया है जनता के मुद्दे तो सिर्फ घोषणाओं तक ही रह गए हैं। विकास सिर्फ मुंह से निकले शब्द तक ही सीमित है। आज कई वर्षों से मप्र की जनता सिर्फ संवाद ही सुन रही है। यह गौरव-गाथा सुनकर किसी का भला नहीं होना है।
शिवराज सिंह चौहान जी आप अच्छे नेता थे जब उमा भारती जी की कुर्सी बाबूलाल गौर जी के रास्ते आपके हाथ लगी थी। आज ऐसा कुछ नहीं शेष है। अगर आज भी अच्छे होते तो तोड़-मरोड़कर, खरीद-फ़रोख़्त कर सरकार बनाने की जरूरत नहीं पड़ती। जनता आपको सीधे राजमहल-सिंहासन देती। परन्तु अब ऐसा नहीं है।
इंदर सिंह परमार जी शिक्षा मंत्री हैं बहुत सम्मानीय पद है आपका। इस पद की गरिमा से इतिहास में आपको याद किया जाये ऐसा करके जाइये। आज कितने शिक्षा मंत्री आये और चले गए कोई याद नहीं रखता। लेकिन आपके पास अभी मौका है अपने काम से अपनी पहचान आप सदियों तक के लिए बना सकते हैं।
इंदर सिंह परमार जी शिक्षा विभाग ऐसा विभाग है जहाँ सुविधाओं की कमी है,कर्मचारियों की कमी है,व्यवस्था लचर है,इंफ्रास्टक्चर है ही नहीं,अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण की जायज माँग जो भाजपा और शिवराज सिंह चौहान, विष्णु दत्त शर्मा जी के वादों में है आजतक अपूर्ण है। ऐसे सैकड़ों काम अपूर्ण हैं।
आप चाहें तो उपरोक्त कामों को पूरा करके जनता का दिल भी जीत सकते हैं और व्यवस्था भी दुरुस्त हो सकती है साथ ही आपका नाम भी सदियों तक याद रखा जायेगा। कुर्सी में बोझ बनकर बैठे हुए मंत्रियों को कौन याद रखता है। याद वही रखे जाते हैं जिन्होंने जनता के लिए काम किया है।