यदि बिजनेस में गवर्नमेंट का सपोर्ट मिल जाए तो सारी प्रॉब्लम ही सॉल्व हो जाती है। प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ जाती है। अच्छी कीमत मिलती है और किसी भी बिजनेस को आसानी से बड़ा बनाया जा सकता है।
भारत सरकार के अमृत महोत्सव के तहत जयपुर में लघु उद्योग भारती (स्माल स्केल इंडस्ट्रीज की नेशनल ऑर्गेनाइजेशन) द्वारा 'आयुर्वेद आहार- कॉन्सेप्ट्स, रेगुलेशन एंड इम्प्लीमेंटेशन' पर स्पेशल सेशन का आयोजन किया गया। इसमें राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ, दिल्ली के डायरेक्टर और रस शास्त्र विशेषज्ञ डॉ. अनुपम श्रीवास्तव कई महत्वपूर्ण बातें बताई। अपने लिए सबसे काम की बात यह थी कि सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अगले 5 साल (2027 तक) यह इंडस्ट्रीज डेढ़ लाख करोड़ की हो जाएगी। यानी कि बहुत तेजी से ग्रोथ आने वाली है।
आयुर्वेद आहार को सारी दुनिया में पसंद किया जा रहा है। इसकी ऑनलाइन बिक्री बहुत तेज हो गई है। इंटरनेशनल मार्केट से डिमांड आ रही है। आयुर्वेद खिचड़ी, गोल्डन मिल्क (हल्दी का दूध), अमृतम चाय (अदरक अथवा तुलसी की चाय) की मांग लगातार बढ़ रही है। आयुर्वेद आहार कैटेगरी के तहत सैकड़ों प्रोडक्ट बनाए जा सकते हैं।
क्योंकि सरकार सपोर्ट कर रही है, इन्हें एक्सपोर्ट करना आसान हो जाएगा। सबसे अच्छी बात यह है कि इस कैटेगरी में स्मॉल स्केल इंडस्ट्री को आगे बढ़ाया जा रहा है यानी कि आप अपने घर से भी काम शुरू कर सकते हैं। आयुर्वेद आहार के लिए आवश्यक रजिस्ट्रेशन, सर्टिफिकेशन, लाइसेंसिंग, एक्रिडिटेशन, टेस्टिंग, क्वालिटी कण्ट्रोल, लेबलिंग, पैकेजिंग, हेल्थ एंड डिजीज रिस्क रिडक्शन क्लेम आदि के लिए लघु उद्योग भारती की तरफ से सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
कुल मिलाकर यदि आप अपने लिए कोई नया बिजनेस प्लान कर रहे हैं तो एक बार आयुर्वेद आहार के बारे में स्टडी जरूर कीजिए। कहा जा रहा है कि यह बिजनेस काफी स्केलेबल है।