इंदौर। इसकी जानकारी बहुत सारे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को भी नहीं है, क्योंकि मूल अधिनियम में प्रावधान नहीं है परंतु 2013 में लागू हुए राइट टू फेयर कंपनसेशन कानून में प्रावधान है। खेत अथवा गैर कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण के बाद जो मुआवजा मिलता है वह इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आता। यदि किसी ने भर दिया है तो वह रिफंड के लिए रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकता है।
इंदौर सीए शाखा के पूर्व अध्यक्ष सीए पंकज शाह ने बताया कि कुछ लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है इसलिए वह गैर कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण के बाद मिला मुआवजा आयकर के दायरे में मान लेते हैं और उस पर इनकम टैक्स जमा कर देते हैं। जबकि राइट टू फेयर कंपनसेशन कानून के तहत कृषि योग्य एवं गैर कृषि योग्य दोनों प्रकार की भूमि के अधिग्रहण के बाद दिए गए मुआवजे को मुक्त घोषित किया गया है।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक विशेष सर्कुलर जारी कर इस छूट को आयकर में भी स्वीकार किया है। केंद्रीय सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने भी अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि राइट टू फेयर कंपनसेशन कानून राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के अंतर्गत किए गए अधिग्रहण पर भी लागू होगा।
अधिग्रहण के मुआवजे पर जमा किया टैक्स रिफंड कैसे प्राप्त करें
रिफंड क्लेम करने के लिए रिवाइज रिटर्न में मुआवजे की राशि को राइट टू फेयर कंपनसेशन एक्ट की धारा 96 में करमुक्त बताना होगा, जिससे अतिरिक्त भरा हुआ टैक्स रिफंड के रूप में दिखने लगेगा। यह संशोधन करने के बाद दोबारा रिटर्न फाइल करने से रिफंड प्रोसेस हो जाएगा।