उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय ने भी अंतत: अध्ययनशालाओं में प्रचलित पुराने व नए कोर्स के शिक्षण शुल्क में वृद्धि कर दी है। कुछ पाठ्यक्रमों में प्रवेश के दौरान लगने वाले शिक्षण शुल्क में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। एक साथ 50 से 60 प्रतिशत तक वृद्धि कर आर्थिक भार डाल दिया है।
कुलपति का कहना है कि लंबे समय से शुल्क वृद्धि नही की गई थी। पाठ्यक्रमों में कुछ प्रतिशत शुल्क बढ़ाया है। वहीं अब इस शुल्क वृद्धि पर छात्र संगठन भी आक्रोशित है। NSUI ने शुल्क वृद्धि वापस नही होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। विक्रम विश्वविद्यालय एक ओर तो अध्ययनशालाओं में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करने में जुटा है। वहीं दूसरी ओर नए और पुराने कोर्स में शिक्षण शुल्क में कई गुना तक वृद्धि कर दी। जिसका सीधा भार अब विद्यार्थियों के अभिभावकों की जेब पर पड़ेगा। बढ़ाई गई फीस नए शिक्षा सत्र 2022 -23 के लिए लागू रहेगी।
कुछ पाठ्यक्रमों में छात्राओं की दी गई छूट भी खत्म करते हुए छात्र व छात्राओं के लिए एक ही मापदंड तय कर दिए है। जबकि छात्राओं को पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से छात्राओं के लिए फीस कम रखी गई थी। हालांकि अधिकारी लंबे समय बाद शुल्क बढ़ाने की बात कह रहे है। जबकि कुछ अधिकारियों का कहना है कि समन्वय समिति से प्रतिवर्ष केवल 10 प्रतिशत तक शुल्क वृद्धि की अनुमति है। ऐसे में प्रतिवर्ष कुछ ही राशि बढऩे से ज्यादा भार नही पड़ता है, लेकिन विवि प्रशासन ने एक साथ वृद्धि कर आर्थिक भार डाल दिया है।