छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर स्थित हाईकोर्ट में व्यवसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा में मेरिट लिस्ट में आने वाले 27 उम्मीदवारों को नौकरी के लिए अयोग्य माना है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि भर्ती नियमों के अनुसार उम्मीदवारों का इंटरमीडिएट एवं ग्रेजुएशन में कम से कम 50% प्राप्तांक अनिवार्य है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने शासकीय स्कूलों में सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए व्यवसायिक परीक्षा मंडल को भर्ती परीक्षा कराने की जिम्मेदारी सौंपी थी। परीक्षा के परिणाम के बाद उन सफल उम्मीदवारों को व्यापम ने चयन सूची से बाहर कर दिया जिनका 12वीं व स्नातक परीक्षा में 50 प्रतिशत से कम अंक थे। ऐसे 27 उम्मीदवारों ने अलग-अलग अपने वकीलों के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
याचिका में कहा गया है कि लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद चयन सूची में नाम शामिल करने के बजाय व्यापम ने सिर्फ इसलिए चयन सूची से नाम को बाहर कर दिया है कि 12वीं व स्नातक परीक्षा में उनके प्राप्तांक 50 प्रतिशत से कम है। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कोर्ट के समक्ष तर्क पेश किया है कि याचिकाकर्ता बीएड व TET परीक्षा उत्तीर्ण हैं। इसके अलावा व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित चयन परीक्षा मेरिट के आधार पर पास की है। लिहाजा शिक्षक चयन सूची में उनके नाम को शामिल किया जाए।
याचिकाकर्ताओं ने संविधान के अनुच्छेद 309 में दिए गए प्रावधान का भी हवाला दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई के दौरान जस्टिस व्यास ने शीर्ष अदालत के निर्देशों व समय-समय पर दिए गए फैसले का उदाहरण देते हुए कहा है कि केंद्र व राज्य शासन द्वारा समय-समय पर योजनाओं के जरिए दी जाने वाले छूट को हम अधिकार नहीं मान सकते।
इसे अधिकार के रूप में लेकर इसके लिए दावा नहीं किया जा सकता। जस्टिस व्यास ने कहा कि राज्य शासन ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि बच्चों के अध्ययन-अध्यापन के लिए उन्हें गुणवत्तायुक्त शिक्षक चाहिए। लिहाजा शिक्षक भर्ती के लिए तय की गई योग्यता और अंकों के अर्हता को मापदंड के रूप में लिया जाना चाहिए।