भोपाल। मध्यप्रदेश में केवल कलेक्टर का पद ऐसा है जिस पर नियमानुसार भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की नियुक्ति की जा रहीं हैं। किसी को प्रभारी नहीं बनाया जा रहा है। शेष डिप्टी कलेक्टर से लेकर क्लर्क तक 50% पद रिक्त पड़े हुए हैं।
मध्यप्रदेश में 150000 पद रिक्त, 75000 भर्ती अनिवार्य
प्रदेश में प्रशासनिक ढांचा चरमरा रहा है। क्लास-1 और क्लास-2 अफसरों के 40% से ज्यादा पद खाली हैं। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर यह आकंड़ा 45% से 50% है। इसकी बड़ी वजह है- बीते तीन साल से मप्र लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) से भर्तियां न होना और पदोन्नति पर रोक लगी होना। यदि सभी संवर्गों की बात करें तो 1.50 लाख पद खाली हैं। इनमें से यदि प्रमोशन वाले घटा दिए जाएं तब भी 75000 पदों पर तत्काल भर्ती अनिवार्य है।
MP NEWS- डिप्टी कलेक्टर के 400, DSP के 337 पद खाली
राज्य प्रशासनिक सेवा में डिप्टी कलेक्टर के 873 में से 400 पद खाली हैं। इनमें 130 पद सीधी भर्ती तो 270 पदोन्नति से भरे जाने हैं। यह पहला मौका है जब उच्च प्रशासनिक सेवा में इतनी बड़ी संख्या में पद खाली हुए हैं। वहीं, राज्य पुलिस सेवा में डीएसपी के 1007 में से 337 पद खाली हैं, इनमें 217 पद सीधी भर्ती और 125 पदोन्नति से भरे जाना हैं।
रिश्वतखोरी और मनमानी बढ़ रही है
अधिकारियों एवं कर्मचारियों की संख्या कम होने के कारण जनता के जरूरी काम भी समय पर नहीं हो पा रहे हैं। लोगों को नियम अनुसार काम करवाने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ रही है। लोकायुक्त पुलिस के छापों में स्पष्ट हो रहा है कि सरकारी ऑफिसों में खुलेआम रिश्वत ली जा रही है।
इधर डॉक्टरों के बाद अधिकारी और कर्मचारी भी मनमानी करने लगे हैं। सरकार के पास विकल्प नहीं है इसलिए सरकार दबाव में है। सस्पेंड किए गए दागी अधिकारियों को इसलिए बहाल किया जा रहा है क्योंकि काम का बोझ अधिक है। यह बात नोटशीट में लिखी जा रही है।