सारी दुनिया जिस भोपाल शहर को मध्य प्रदेश की राजधानी के रूप में जानती है। असल में वह एक शहर नहीं बल्कि पूरा तालाब है। हमलावर होशंगशाह द्वारा भोजपुर का बांध तोड़ दिया गया। जिसके कारण तालाब सूख गया। इसी जमीन पर भोपाल शहर बसा हुआ है। महत्वपूर्ण जानकारी यह है कि जिसे भोपाल का तालाब कहा जाता है, असल में एक छोटा जलाशय था, जिसे कच्ची मिट्टी की पार से बांधा गया था।
भोपाल के तालाब का इतिहास एवं कहानी
भोपाल के तालाब की कहानी बहुत ही रोचक है। वर्तमान में जो दिखाई देता है, वह भोपाल का तालाब नहीं है। परमार वंश के राजा भोज ने बेतवा नदी की दिशा मोड़ने के लिए भोजपुर में पत्थरों का एक विशाल बांध बनवाया था। इसके कारण 65,000 हेक्टेयर का एक जलाशय बना। जिसका नाम भोजपाला रखा गया। वर्तमान में इसी 65000 हेक्टेयर जलाशय की भूमि को भोपाल कहा जाता है।
जो लोग भोपाल के तालाब को भारत का सबसे बड़ा तालाब मानते हैं उनके लिए यह महत्वपूर्ण जानकारी है कि वर्तमान में जो दिखाई देता है वह असली तालाब नहीं है, बल्कि भोजपुर से लेकर और भोपाल के तालाब के अंत तक जो जमीन दिखाई देती है वह पूरी की पूरी तालाब की जमीन है। इस तालाब की गहराई कुछ स्थानों पर 30 मीटर तक की। यह भारतीय प्रायद्वीप का सबसे बड़ा मानव निर्मित जलाशय था।
1443 ईस्वीं में हमलावर होशंगशाह (जिसके नाम पर होशंगाबाद शहर बसा) ने भोजपुर में बने पत्थर के बांध को तोड़ने का आदेश दिया। कहते हैं कि उसके सैनिकों को यह बांध तोड़ने में पूरे 30 दिन लगे और भोपाल के तालाब को सूखने में 30 वर्ष लगे। इसके बाद भी कमला पार्क के पास वाले इलाके में पानी सूखा नहीं क्योंकि यहां मिट्टी का कच्चा बांध बना हुआ था। यही छोटा कच्चा बांध आज भोपाल का बड़ा तालाब कहलाता है।