धार्मिक पर्यटन के लिए तैयार किए गए दस्तावेजों में इसका उल्लेख प्रमुखता से नहीं मिलता परंतु प्रमाणिक कथाओं में यह तथ्य पूरे महत्व के साथ दर्ज है। वर्तमान मध्यप्रदेश में आने वाले एक विशेष क्षेत्र के राजा प्रतापी राजा किर्तिविर्य सह्स्त्राआर्जुन ने लंकाधिपति रावण को ना केवल युद्ध में पराजित किया बल्कि बंदी बना लिया था।
वर्तमान में इस क्षेत्र को निमाड़ कहा जाता है। प्राचीन काल में इसे अनूप महाजनपद कहा जाता था। इससे पहले रामायण काल में इसी क्षेत्र का नाम माहिष्मती था। हेहय वंश के राजाओं ने माहिष्मती की स्थापना की थी। माहिष्मती कितना शक्तिशाली साम्राज्य था, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। जब राजा किर्तिविर्य सह्स्त्राआर्जुन ने लंकाधिपति रावण को बंदी बना लिया तब भगवान शिव के आदेश पर पुल्तस्य ऋषि ने रावण को मुक्त कराया था। इसका उल्लेख शास्त्रों में मिलता है।
सिंधु घाटी सभ्यता के समय आर्यो एवं निआर्यो (जो आपने आप को आर्य नही मानते थे) के मध्य का क्षेत्र होने के कारण इसका नाम निमार पड़ा। जिसे बाद में निमाड़ के नाम से पुकारा गया। यही क्षेत्र वर्तमान में पूर्वी निमाड़ खरगोन और पश्चिमी निमाड़ खंडवा के नाम से जाना जाता है। एक धारणा यह भी है कि इस क्षेत्र में नीम के पेड़ प्रचुर मात्रा में पाए जाते थे। आज भी पाए जाते हैं। इसके कारण क्षेत्र का नाम (नीम की छांव, नीम की आड़) निमाड़ पड़ा। निमाड़ क्षेत्र के लोग कितने संकल्पवान होते हैं, इसका प्रमाण इस बात से भी मिलता है कि भगवान शिव को नर्मदा नदी के किनारे ॐकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित होना पड़ा।