पृथ्वी के किसी भी क्षेत्र में जाइए, शिवलिंग अवश्य मिलेगा। वहां की स्थापत्य कला कुछ भी हो लेकिन शिवलिंग हमेशा गोल मिलेगा। सवाल यह है कि दुनिया भर में शिव लिंग के आकार गोल क्यों होते हैं। चौकोर या त्रिकोण क्यों नहीं होते। आईएएस का वैज्ञानिक कारण पता लगाते हैं:-
जैसा कि आप जानते ही हैं कि ज्योतिर्लिंग एवं स्वयंभू शिवलिंग के नीचे जमीन के गर्भ में कोई ना कोई परमाणु गतिविधि होती है। शिवलिंग में अत्यधिक मात्रा में रेडियोएक्टिव एनर्जी होती है। भौतिक विज्ञान का, पदार्थ के मौलिक आकार पर बाहरी प्रभाव, दबाव, एवं पारिपार्शिक परिस्थिति की प्रतिक्रियॉ आदि के सिद्धान्त भी आप जानते ही हैं। यदि शिवलिंग को चौकोर कर दिया जाएगा तो वह कुछ ही समय में ब्लास्ट कर जाएगा, क्योंकि केवल गोलाकार ही अत्यधिक ऊर्जा को अपने भीतर नियंत्रित कर सकता है। तभी तो पानी के कुए से लेकर पेट्रोल के टैंक तक सब कुछ गोल होता है।
दूसरा महत्वपूर्ण कारण यह है कि शिवलिंग जैसा आकार ही दसों दिशाओं में समान रूप से तरंगों का प्रसार कर सकता है। यह बात वैज्ञानिक भी मानते हैं और जब भी उन्हें सभी दिशाओं में समान रूप से तरंगों का प्रसार करना होता है तो शिव लिंग के आकार की डिवाइस बनाते हैं। गूगल की मानवरहित कार का एंटीना (जो पूरी तरह से शिवलिंग के आकार का था) आपने भी देखा होगा।
क्योंकि शिवलिंग से निरंतर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। वह दसों दिशाओं में समान रूप से प्रसारित हो, ऐसा तभी संभव है जब शिवलिंग का आकार गोल होगा।