प्राचीन भारत वर्ष के चिट्टागांव में (वर्तमान बांग्लादेश की सीमा में) एक ऐसा शिव मंदिर है जहां प्राकृतिक अग्निकुंड मौजूद है। यहां निरंतर अग्नि की ज्वाला जलती रहती है। इसके लिए किसी भी प्रकार के ईंधन का योगदान नहीं करना पड़ता। यह ज्वाला धरती के गर्भ से निकल रही है। सवाल यह है कि क्या इस शिवलिंग के नीचे कोई तेल का कुआं है, या फिर भगवान शिव से संबंधित विज्ञान का कोई रहस्य।
हाल ही में इंटरनेट पर बांग्लादेश में स्थित अग्निकुंड महादेव मंदिर की कुछ तस्वीरें वायरल हुई थी। सारी दुनिया को बताया गया कि यह एक ऐसा शिव मंदिर है जहां पर एक प्राकृतिक अग्निकुंड है। जिसमें से अग्नि की ज्वाला निरंतर निकलती रहती है। किसी भी मौसम में इस कुंड की आग बंद नहीं होती। लोग इस बात को लेकर आश्चर्यचकित हैं कि भगवान शिव का संबंध जल से है, अभिषेक से है फिर उनके शिवलिंग के नजदीक 1 कुंड में धरती के गर्व से अग्नि क्यों निकल रही है। बांग्लादेश के वैज्ञानिक इस अग्नि का सोर्स पता नहीं कर पाए हैं।
आइए अपन अनुमान लगाते हैं। क्योंकि अपन जानते हैं कि भगवान शिव व्योमकेश हैं। ब्रह्मांड के स्वामी है। उनका अस्तित्व वहां पर भी है जहां जीवन नहीं है। कृपया याद कीजिए 1970 में दुनिया के सबसे ताकतवर देश रूस ने धरती के नीचे के रहस्य का पता लगाने के लिए एक बहुत गहरा गड्ढा खोदा था। जिसे कोला सुपरडीप बोरहोल के नाम से जाना जाता है। 19 साल तक खुदाई और 12 किलोमीटर नीचे पहुंचने के बाद अचानक इस अभियान को बंद कर दिया गया।
वैज्ञानिकों ने बताया कि 12262 मीटर (40,230 फीट) की गहराई में पहुंचने के बाद मशीनों में अपने आप काम करना बंद कर दिया। वहां जमीन का तापमान 180 डिग्री सेलसियस था। क्यों ना यह मान लिया जाए कि अग्निकुंड शिव मंदिर का इसी विज्ञान से कनेक्शन है। मंदिर में प्राकृतिक अग्निकुंड के माध्यम से भगवान शिव ने यह संदेश दिया है कि धरती के नीचे इस प्रकार की अग्नि है जिसे बुझाया नहीं जा सकता। इस अग्निकुंड के माध्यम से संदेश दिया गया कि कृपया पृथ्वी की सतह के नीचे जाने का प्रयास ना करें।
जिस रहस्य को खोजने के लिए रूस ने 19 साल तक मेहनत की, उसका उद्घाटन चिट्टागांव शिव मंदिर में प्राकृतिक रूप से सदियों पहले हो चुका है।