भोपाल। शहर के 100 से ज्यादा सरकारी, अनुदान प्राप्त और निजी कॉलेजों में नए सत्र से कला और कर्मकांड के बूते नौकरी का अवसर है। दरअसल इस से सभी कॉलेजाें काे प्रेाफेशनल (वाेकेशनल) विषयों के लिए विजिटिंग फैकल्टी अनिवार्य रूप से रखना है। सेकंड ईयर में जाे नए विषय जुड़े हैं, उनमें कई राेचक और विशेष विधा से जुड़े हैं। इसलिए कॉलेजाें में अब कला, फिल्म संगीत की विशेषज्ञता, प्रतियाेगी परीक्षाओं के विशेषज्ञाें और वेद-कर्मकांड से जुड़े विद्वानाें काे आसानी से विजिटिंग फैकल्टी का जिम्मा मिल जाएगा।
इसमें फैशन डिजाइनिंग और शास्त्रीय संगीत से लेकर भारतीय संगीत (तंत्र एवं सुषिर वाद्य) जैसे बेहद अहम विषय भी शामिल हैं। यह सारे विषय बीए, बीबीए, बीएससी, बीकॉम और बीसीए में सेकंड ईयर की पढ़ाई का हिस्सा बने हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए कॉलेजाें काे अनिवार्य ताैर पर विजिटिंग फैकल्टी या एक्सपर्ट रखना हाेंगे। इन सभी काेर्स के छात्र इलेक्टिव व जेनरिक विषय के ताैर पर इन्हें चुन सकेंगे। यह परचा 30 अंक का रहेगा।
कॉलेजों में स्टूडेंट्स को फिल्मी गाने सिखाए जाएंगे
जिन विशेषज्ञाें और फैकल्टी काे कॉलेज में जॉब दी जाएंगी, उन्हें कम से कम एक पूरे सेमेस्टर सेवा देना हाेंगी। इस दाैरान छात्राें काे फिल्मी गाने और संगीत रचनाएं सिखाई जाएंगी। भारतीय फिल्म संगीत के इतिहास से लेकर करियर के लिहाज से उसके भविष्य तक सब-कुछ पढ़ाया और सिखाया जाएगा। यही नहीं फिल्म संगीत में शास्त्रीय संगीत का पक्ष, संगीत शब्दावली और ताल व तंत्र वाद्याें का उपयोग भी सिखाया जाएगा। मराठी भाषा के जानकारों काे भी माैका मिलेगा। क्याेंकि इसमें मराठी भाषा और भरत नाट्यम जैसी विधाओं काे भी शामिल किया गया है।
सितंबर से नई फैकल्टी को मिलेगा मौका
फिलहाल बीकॉम, बीबीए, बीसीए, बीए के साथ बीएचएससी, हाेटल मैनेजमेंट, बीए पत्रकारिता व जनसंचार तथा संस्कृत शास्त्री जैसे काेर्स और बीए सहित सभी यूजी काेर्स का सिलेबस जारी कर दिया गया है। मैजर, जेनरिक माइनर, इलेक्टिव (वैकल्पिक) और फाउंडेशन के भी सिलेबस जारी कर दिए हैं। सभी काेर्स में जेनरिक में नए विषय जाेड़े गए हैं। फर्स्ट ईयर की परीक्षा के बाद छात्र सेकंड ईयर की क्लास में बैठेंगे। खास बात यह है कि इस बार सेकंड ईयर बीए के छात्राें काे वैकल्पिक विषयों में भारतीय फिल्मी संगीत एवं वाद्याें का योगदान भी पढ़ाया जाएगा। यही नहीं मराठी, भरत नाट्यम, फैशन डिजाइनिंग और वेद- कर्मकांड भी पढ़ाया जाएगा।
25 सब्जेक्ट के लिए फैकल्टी जरूरी
वैसे इस बार सेकंड ईयर में एनएसएस काे भी प्रमुखता से शामिल किया गया है। बीएससी में सेकंड ईयर में खाद-सूचना व सूचना प्राेद्याेगिकी, इंडस्ट्रियल माइक्राेबॉयाेलॉजी-खाद्य सूक्ष्म विज्ञान जैसे विषय शामिल किए गए हैं, जबकि बीकॉम में प्रबंध के मूलतत्व, नवीन उद्यम याेजना, भारत में ग्रामीण बैंकिंग, भारत में ग्रामीण विकास जैसे अहम नए विषय शामिल किए गए हैं। इस सभी विषयों के विशेषज्ञाें काे कॉलेज खाेजेंगे और छात्राें काे पढ़ाने के लिए माैका देंगे।
नई एजुकेशन पॉलिसी के पहले वर्ष में 25 वाेकेशनल विषय थे, लेकिन इस बार वैकल्पिक में कई नए विषय जाेड़े गए हैं। हालांकि अब फर्स्ट ईयर के सभी 25 विषयों के लिए भी कॉलेजाें काे ऐसे ही विजिटिंग फैकल्टी रखना हाेगी। पहले साल ज्यादातर कॉलेजाें ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा प्राे. सुरेश सिलावट का कहना है कि इसके लिए सभी कॉलेजाें से कहा जाएगा कि जाे भी वाेकेशनल विषय उन्हाेंने अपने यहां चुना है, उन्हें उसके लिए विजिटिंग फैकल्टी या विशेषज्ञ काे बुलाना हाेगा। जीएसीसी के प्राचार्य प्राे. अनूप व्यास कहते हैं कि जाे विषय हैं, उनसे जुड़े विशेषज्ञाें काे माैका देंगे, ताकि छात्राें काे उस विधा से जुड़ा ज्यादा से ज्यादा नॉलेज मिल सके।