भोपाल। मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मंत्रालय में महिला कर्मचारी रानी शर्मा की प्रताड़ना मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उल्लेखनीय है कि इस मामले में एक आईएएस अफसर का नाम आ रहा है जिसने रानी शर्मा का इंदौर से भोपाल ट्रांसफर करवाया था। आरोप है कि इसी अफसर ने रानी शर्मा का जीना मुश्किल कर दिया था।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह लिखते हैं कि विभिन्न मीडिया संसाधनों से संज्ञान में आया है कि ग्वालियर की बेटी रानी शर्मा पुत्री वेदराम शर्मा विभागीय अधिकारियों की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली है। महिलाओं के साथ अधिकारी इस स्तर तक प्रताड़ना कर रहे हैं कि उनको आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा है। अब उन कारणों का पता लगाया जाना आवश्यक है जिन कारणों से उसने यह कदम उठाया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस मामले में निष्पक्ष जांच कराएं। भविष्य में किसी महिला के साथ इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।
इस तरह हुई है यह घटना
- ग्वालियर के कोतवाली थाने में पदस्थ कार्यवाहन उपनिरीक्षक वेदराम शर्मा की छोटी बेटी रानी शर्मा अपने पिता का अभिमान थी। रानी ने 10वीं में 90 प्रतिशत मार्क्स लाकर पास हुई। इसके बाद 12वीं में संभाग में टॉप थ्री मंे रही। इसके बाद उसने जो परीक्षा दी उसमें बेहत्तर किया और जॉब हासिल की। MPIDC (मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) में बतौर मैनेजर नौकरी हासिल करने से पहले वह बैंक पीओ, सांख्यिकी अधिकारी की पोस्ट पर भी सिलेक्ट हो चुकी थी। वर्ष 2018 में मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन में उसका सिलेक्शन हुआ। पहले वह इंदौर में पदस्थ थीं, लेकिन एक घटना के बाद रानी का ट्रांसफर भोपाल हो गया।
वहीं से उसके डिप्रेशन की कहानी शुरू होती है। यहां से उसे वल्लभ भवन में पदस्थ किया गया। कम उम्र की रानी पर काम का इतना बोझ डाल दिया गया कि वह गलतियां करने लगी। हर गलती पर उसके साथ ऐसा व्यवहार किया जाता था कि उसके मन में डर बैठता गया। वह इतनी घबरा गई थी कि उसने 1 अगस्त की सुबह 5 बजे अपनी अपार्टमेंट की पांचवीं मंजिल की बालकनी से कूदकर आत्महत्या कर ली। भोपाल के शाहपुरा थाने की पुलिस मामले की जांच कर रही है।