पुलिस द्वारा या परिवाद द्वारा मजिस्ट्रेट के पास कोई समन मामलों की शिकायत दर्ज की जाती है या ऐसे मामले जो संपत्ति से संबंधित हो या भरण पोषण आदि संबंधित मामले हो या कहे जो असंज्ञेय एवं समन श्रेणी के होते हैं तब मजिस्ट्रेट आदेश या डिक्री देने से पहले किस प्रकार साक्षी की परीक्षा का रिकॉर्ड तैयार करेगा जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 274 की परिभाषा
मजिस्ट्रेट द्वारा विचारित सभी जाँच एवं समन मामलों में कार्यवाहियों में मजिस्ट्रेट जैसे-जैसे प्रत्येक साक्षी की परीक्षा लेगा वैसे-वैसे उसके साक्ष्य सारांश को न्यायालय की भाषा में स्वयं तैयार करेगा। अगर मजिस्ट्रेट ऐसा रिकॉर्ड तैयार करने में असमर्थ है तब वह बोलकर किसी व्यक्ति से रिकॉर्ड को तैयार करवाएगा या किसी अधिकारी को अभिलेख तैयार करने के लिए नियुक्त भी कर सकता है। तैयार ज्ञापन पर मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर होंगे एवं वह अभिलेख का भाग होगा।
साधारण शब्दों में कहे तो सभी प्रकार के समन अपराध में कार्यवाही किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है एवं ऐसे अपराध में अगर आरोपी अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकार नहीं करता है तब मजिस्ट्रेट साक्ष्यों के आधार पर अपना निर्णय देता है इसलिए मजिस्ट्रेट स्वयं साक्षी के बयान को एक रिकॉर्ड में तैयार करता है एवं उनको न्यायालय की भाषा में लिखता है।
अगर हम मजिस्ट्रेट की असमर्थ की बात करे तो किसी कारणवश मजिस्ट्रेट की तबियत खराब हो जाए तब वह किसी अधिकारी को नियुक्त करेगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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