वारण्ट मामलों में मजिस्ट्रेट किस प्रकार साक्षी के रिकॉर्ड तैयार करेगा, जानिए- CrPC 275

Bhopal Samachar
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 2(भ) के अनुसार ऐसे मामले जिसमे मृत्यु दण्ड, आजीवन कारावास अथवा दो वर्ष से अधिक कारावास की सजा होगी वह सभी मामले वारण्ट मामले होंगे। पिछले लेख की धारा 274 में हमने आपको बताया था की समन मामलों में आरोपी से अपराध की स्वीकृति आवश्यक नहीं है साक्ष्यों के आधार पर दण्डित किया जा सकता है लेकिन वारण्ट मामलों में आरोपी द्वारा लगे आरोपों की स्वीकृति होने के बाद दण्ड दिया जाता है वारण्ट मामलों में अगर ठोस सबूत न हो तो आरोपी को सिर्फ उन्मोचित किया जाएगा न कि दोषमुक्त। मजिस्ट्रेट द्वारा वारण्ट मामलों में साक्ष्य को विचारण के समय किस प्रकार लिया जाता है एवं कैसे अभिलेख तैयार किया जाएगा जानिए।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 275 की परिभाषा

1. मजिस्ट्रेट द्वारा जैसे-जैसे साक्षी की परीक्षा होगी वैसे-वैसे उनके ज्ञापन को लिखेगा अगर वह किसी कारणवंश लिखने में असमर्थ है तो इसके लिए वह न्यायालय का वएक अधिकारी नियुक्त कर सकता है।
2. मजिस्ट्रेट साक्ष्य को नहीं लिखता है तब वह किस कारण से नही लिख रहा है इसका कारण स्पष्ट करेगा, एवं लिखेगा।

3. सभी साक्ष्य किसी कहानी के रूप में अभिलिखित होंगे एवं मजिस्ट्रेट स्वविवेकानुसार साक्ष्यों को प्रश्नोत्तर के रूप में भी लिख सकता है।
4. इस धारा के अंतर्गत लिखें गए सभी साक्ष्य पर मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर होंगे एवं वह एक अभिलेख का भाग हो जाएगा।

विशेष नोट:- मजिस्ट्रेट द्वारा वारण्ट मामलों में साक्षी की परीक्षा में जो साक्ष्य दिया जाएगा वहाँ पर आरोपी पक्ष का वकील भी मौजूद रहेगा एवं उस की उपस्थिति में मजिस्ट्रेट साक्ष्यों के रिकॉर्ड तैयार करेगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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