न्यायालय द्वारा साक्षी के बयान पूरे हो जाने पर मजिस्ट्रेट साक्षी के अभिलेख उसी भाषा में तैयार करेगा जिस भाषा में साक्षी ने बयान दिये थे लेकिन क्या मजिस्ट्रेट द्वारा साक्ष्य अभिलेख (दस्तावेज) तैयार होने के बाद भी साक्षी के बयान गलत लिखा जाते हैं तब उन बयानों या कथनों में संशोधन किया जा सकता है या नहीं जानते हैं इसका जबाव।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 278 की परिभाषा
किसी वारण्ट मामले या सत्र न्यायालय मामलों में न्यायालय द्वारा साक्षी के साक्ष्य अभिलेख तैयार हो जाने के बाद मजिस्ट्रेट साक्षी एवं वकील की उपस्थिति में साक्ष्य दस्तावेज को पढ़कर सुनाएगा। अगर साक्ष्य के किसी भाग में वकील या साक्षी को त्रुटि लगती है तब मजिस्ट्रेट ऐसी त्रुटि को लिखेगा एवं आवश्यक हो तो तुरंत संशोधन कर सकता है।
अगर साक्ष्य अभिलेख की भाषा भिन्न हैं और साक्षी को समझ नहीं आ रही है तब न्यायालय साक्ष्य दस्तावेज को उसी भाषा में भाषान्तर करेगा जिस भाषा की वह समझता है।
अर्थात सरल शब्दों में कहे तो CrPC की धारा 278 प्रथम यह सुनिश्चित करती है कि साक्षी का साक्ष्य ठीक दर्ज किया गया है या नहीं द्वितीय यह कि साक्षी को कोई त्रुटि लगे तो उसमें सुधार का उसे अवसर देता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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