जबलपुर। मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि शिक्षा विभाग की अंधेरगर्दी के चलते अपना ही पैसा अपने काम नहीं आता है। ऐसा ही एक प्रकरण आवेदक श्री सुनील सेठी जो की शिक्षा विभाग में लिपिक के पद पर कार्यरत है उसके द्वारा अपनी एवं अपनी वृद्ध माता जी के इलाज के लिए GPF निकालने हेतु लगभग एक माह पूर्व आवेदन किया गया था।
अधिकारियों ने इमरजेंसी की स्थिति में भी कर्मचारी के जनरल प्रोविडेंट फंड का पैसा उसे नहीं दिया। आज उस कर्मचारी की परम पूज्य माता जी देवलोकगमन हो गया। वाह रे शिक्षा विभाग के आला अधिकारी कर्मचारी के स्वयं का पैसा स्वयं काम नहीं आ सका। यदि समय रहते उस कर्मचारी को GPF राशि का भुगतान हो गया होता तो वह स्वयं तथा अपनी मां का बेहतर से बेहतर इलाज करा सकता था।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों तानाशाही स्वेच्छाचारिता मनमाने ढंग से कार्य करना असंवेदनहीनता का परिचायक है जो अपने मारतहत कर्मचारी को उसकी जमा राशि समय पर उपलब्ध नहीं करा पाये।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, मंसूर बेग, चंदु जाउलकर, विट्टू आहलूवालिया, शंकर पारिख, वीरेन्द्र तिवारी, धनश्याम पटैल रमेश उपाध्याय, साहिल सिद्दीकी, राजकुमार मिश्रा, प्रशांत श्रीवास्तव, गोपाल नेमा, विपिन शर्मा, सुधीर पण्डया, पी.एल. गौतम, रवि बांगर, योगेन्द्र तिवारी, आदि जिले के संवेदनशील कलेक्टर जिला जबलपुर से मांग की है कि पीडित कर्मचारी का तत्काल GFP का भुगतान कराते हुए दोषी शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर सख्त अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावे।