ग्वालियर। उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग (उपभोक्ता फोरम) इंदौर ने मेहरा बाल चिकित्सालय एंड नवजात शिशु ESU के डॉक्टर अंशुल मेहरा और मैस्कॉट हॉस्पिटल सिंधी कॉलोनी कंपू ग्वालियर के मालिक आलोक अग्रवाल, डॉ सीमा शिवहरे एवं डॉ मनोज बंसल पर ₹1000000 का जुर्माना लगाया है। डॉक्टरों पर आरोप है कि उन्होंने निमोनिया से पीड़ित 3 साल की मासूम बच्ची का गलत इलाज किया जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई थी। घटना 2013 की है। बच्ची के पिता ने 9 साल तक न्याय की लड़ाई लड़ी, जो अभी भी जारी है।
डॉ अंशुल मेहरा पर गलत इलाज करने का आरोप
परिवादी मनोज उपाध्याय एडवोकेट ने बताया कि उनकी 3 वर्षीय बेटी कुमारी गार्गी को दिनांक 25 जनवरी 2013 को मेहरा बाल चिकित्सालय अनुपम नगर में डॉक्टर डीडी शर्मा द्वारा रेफर किया गया था। गार्गी को निमोनिया की शिकायत थी। मेहरा बाल चिकित्सालय में डाक्टर आरके मेहरा अस्पताल के संचालक थे एवं डा अंशुल मेहरा बच्चों के डॉक्टर की हैसियत से कार्य करते थे। डॉ अंशुल मेहरा ने स्वयं को एमडी पीडियाट्रिशियन यूएसए बताया था, जबकि उनके पास ऐसी कोई डिग्री नहीं है।
मासूम बच्ची की 3 घंटे में तबीयत बिगड़ी
मासूम बच्ची को निमोनिया होते हुए भी मेहरा हॉस्पिटल में 1 घंटे के भीतर 500 एमएल नॉरमल सलाइन की बोतल चढ़ा दी थी और स्वास्थ्य बिगड़ने पर भी आईवी फ्लूड दिया जाता रहा। इससे बच्ची के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा। तब डॉ अंशुल मेहरा ने भर्ती के 3 घंटे बाद वेंटिलेटर की आवश्यकता बताते हुए मैस्कॉट हॉस्पिटल रेफर कर दिया।
मैस्कॉट हॉस्पिटल- ICU में BHMS फेल स्टूडेंट को डॉक्टर बना रखा था
मैस्कॉट हॉस्पिटल सिंधी कॉलोनी कंपू ग्वालियर के मालिक आलोक अग्रवाल थे एवं अस्पताल अधीक्षक के रूप में डॉक्टर सीमा शिवहरे व पीडियाट्रिशियन के रूप में डॉक्टर मनोज बंसल कार्य करते थे। मैस्कॉट हॉस्पिटल में मासूम बच्ची को PICU में भर्ती किया गया। मैस्कॉट हॉस्पिटल के ICU में BHMS के फेल छात्र ड्यूटी डॉक्टर के रूप में कार्य कर रहे थे।
शैलेंद्र साहू एवं अवधेश दिवाकर को ड्यूटी डॉक्टर के रूप में सेवाएं ली गई थी। जबकि उक्त लोग होम्योपैथी कॉलेज में पढ़ रहे थे। शैलेंद्र साहू 3 वर्ष से लगातार होम्योपैथी में फेल हो रहा था और मैंस्कॉट हॉस्पिटल में ICU में ड्यूटी डॉक्टर का कार्य कर रहा था।
डॉ अंशुल मेहरा- एमडी पीडियाट्रिशियन नहीं है
परिवादी द्वारा मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल में डॉ अंशुल मेहरा की एमडी पीडियाट्रिशियन की डिग्री होने की शिकायत की गई थी तो स्वयं डॉ अंशुल मेहरा ने मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल भोपाल के समक्ष क्षमा मांगी कि वह एमडी पीडियाट्रिशियन नहीं है और भविष्य में उक्त डिग्री नहीं लिखेगा। मेडिकल काउंसिल ने डॉ अंशुल मेहरा को चेतावनी दी थी कि यदि भविष्य में उनके द्वारा अवैध एमडी पीडियाट्रिशियन की डिग्री लिखी गई तो उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डॉ अंशुल मेहरा और आरके गोयल के खिलाफ 420 की FIR
परिवादी ने मेहरा बाल चिकित्सालय से ट्रीटमेंट पेपर की सीट प्राप्त की थी और पुलिस थाना विश्वविद्यालय में उपचार में लापरवाही की शिकायत की थी। डॉक्टर आरके मेहरा द्वारा बेबी गार्गी की दूसरी ट्रीटमेंट शीट बनाकर पुलिस को दे दी थी जिस पर पुलिस थाना विश्वविद्यालय द्वारा डॉ अंशुल मेहरा, डॉ आरके गोयल के विरुद्ध धारा 420 ,465, 468 का अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया था। अनुसंधान में धारा 304 एवं अन्य धाराओं का इजाफा किया गया।
मैस्कॉट हॉस्पिटल- गलत इलाज के कारण लाइसेंस निरस्त हुआ था
CMHO ग्वालियर को परिवादी द्वारा शिकायत की गई थी तो सीएमएचओ कमेटी द्वारा भी अंशुल मेहरा के द्वारा बेबी गार्गी की मृत्यु के पश्चात ट्रीटमेंट पेपर बनाना पाए थे एवं निमोनिया के रोगी को आईवी फ्लूड दिए जाने की लापरवाही पाई थी। मैस्कॉट हॉस्पिटल के विरुद्ध जब परिवादी ने शिकायत की तो पाया गया कि मैस्कॉट हॉस्पिटल कि डॉ सीमा शिवहरे एवं अस्पताल के मालिक आलोक अग्रवाल द्वारा छात्रों से ड्यूटी डॉक्टर का कार्य लिया जाना पाया गया था एवं अपात्र चिकित्सकों से बेबी गार्गी का इलाज कराया जाना सही पाए जाने पर मैस्कॉट हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर सिंधी कॉलोनी कंपू ग्वालियर का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया था।
डॉक्टरों ने पहले शिवपुरी फोरम और फिर इंदौर ट्रांसफर कराया
परिवादी मनोज उपाध्याय ने जिला उपभोक्ता फोरम ग्वालियर के समक्ष 20 जनवरी 2015 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत शिकायत 20 लाख क्षतिपूर्ति हेतु की प्रस्तुत की थी। प्रतिवादी डॉक्टरों द्वारा शिकायत का निराकरण करने में कई तरह से विलंब कार्य किया जाता रहा एवं ग्वालियर फोरम से प्रार्थी का प्रकरण शिवपुरी जिला आयोग के समक्ष ट्रांसफर कराया गया एवं शिवपुरी जिला आयोग से भी न्याय न मिलने की शिकायत करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ग्वालियर से शिकायत प्रकरण इंदौर ट्रांसफर कराया गया।
डॉ अंशुल मेहरा, आलोक अग्रवाल, सीमा शिवहरे और मनोज बंसल पर जुर्माना
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग क्रमांक 1 इंदौर के अध्यक्ष सत्येंद्र जोशी सदस्य कुंदन सिंह चौहान एवं साधना शर्मा द्वारा प्रकरण में अंतिम तर्क सुने गए और दिनांक 8 अगस्त 2022 को परिवादी मनोज उपाध्याय की शिकायत को आंशिक रूप से सही पाते हुए डॉक्टर अंशुल मेहरा एवं मेहरा बाल चिकित्सालय पर 5 लाख क्षतिपूर्ति एवं 20 हजार रुपए प्रकरण व्यय तथा मेस्कॉर्ट हॉस्पिटल के मालिक आलोक अग्रवाल, डॉ सीमा शिवहरे अस्पताल अधीक्षक एवं डॉ मनोज बंसल पीडियाट्रिशियन के विरुद्ध 5 लाख रुपए क्षतिपूर्ति व 20,000 रुपए शिकायत व्यय का आदेश दिया 1 माह के भीतर 10 लाख रुपए की राशि अदा न करने पर 6% वार्षिक ब्याज के भी आदेश दिए गए हैं।