मध्य प्रदेश के JAH ग्वालियर में अक्सर जूनियर डॉक्टर और सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के अटेंडरों के बीच विवाद की खबरें आती रहती हैं, परंतु उम्मीद है कि आप इस तरह की खबरों पर विराम लगेगा। नेशनल मेडिकल काउंसिल के निर्देश पर MBBS की पढ़ाई में एटीकाम शामिल किया गया है। जूनियर डॉक्टरों को दिखाया जा रहा है कि पीड़ित मरीज और तनावग्रस्त अटेंडरों से कैसा व्यवहार करें।
जीआर मेडिकल कालेज के पुराने सभागार में सोमवार को कार्यशाला रखी गई। अध्यक्षता मेडिकल कालेज के डीन डा. अक्षय निगम ने की। डा. निगम ने कहा कि एक छात्र शारीरिक संरचना सीखने व बेहतर इलाज करने के साथ-साथ संवेदनशील, व्यवहारिक और संवाद स्थापित करना सीखता है तभी वह बेहतर डाक्टर बन सकता है। केवल किताबी ज्ञान आपको जीवन में आगे नहीं ले जाता।
डा. अजय गौड़ ने कहा कि डाक्टर को मरीज व उसके अटेंडेंट से अच्छा संवाद अच्छा रखना चाहिए। नेशनल मेडिकल काउंसिल ने वर्ष 2018 में एटीकाम/एटीट्यूड, एथिक, कम्युनिकेशन को पढ़ाई में शामिल किया है। 2019 के बैच में यह लागू करना था, लेकिन कोरोना के चलते इसकी पढ़ाई बाधित रही। अब एटीकाम को शिक्षण कार्य में शामिल कर उसका समय निर्धारित कर छात्रों की पढ़ाई कराई जाए।
जेएएच अधीक्षक डा. आरकेएस धाकड़ ने कहा कि मरीज का प्राथमिक उपचार डाक्टर का अच्छा व्यवहार ही कर देता है। बाकी का उपचार दवाओं से होता है। इस मौके पर अन्य विभागों के एचओडी, शिक्षक के अलावा छात्रों की मौजूद रही।