मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में आई बाढ़ ने स्थिति को बेहद चिंताजनक बना दिया है। रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए ग्वालियर से गए सेना के हेलीकॉप्टरों में से एक हेलीकॉप्टर बाढ़ में फंसे लोगों को खाना बांट रहा है। यह दृश्य किसी के बीच हृदय को झकझोर देने वाला है। हेलीकॉप्टर को देखते ही हजारों हाथ आसमान की तरह खड़े हो जाते हैं। कल तक जिन किसानों के खेत लहलहा रहे थे, आज एक-एक दाने को तरस रहे हैं।
मुरैना जिले के बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों की स्थिति यह है कि जैसे ही किसी गांव में हेलीकॉप्टर पहुंचता है, लोग दौड़कर जाते हैं और भोजन के लिए आसमान में एक साथ सैकड़ों हाथ उठ खड़े होते हैं। जिले में बाढ़ की त्रासदी इतनी भयावह है कि लोगों के खेत, घर गृहस्थी व खाने-पीने का सामान तक पानी में डूब गया। अब उनके सामने जीने के लिए भोजन का संकट उत्पन्न हो गया है। जिला प्रशासन इतने लोगों को गांवों से बाहर नहीं निकाल सकता है, लिहाजा उसने हेलीकॉप्टर से भोजन भेजना शुरु कर दिया है।
बाढ़ में फंसे लोग इतनी ज्यादा है कि राहत शिविर में नहीं ला रहे
जिले के गावों में लाखों लोग फंसे हैं। जिला प्रशासन के पास मात्र एक हेलीकॉप्टर है। जिला प्रशासन ने सोचा कि अगर गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को उठाया तो सभी को नहीं लाया जा सकता है, लिहाजा उचित यही होगा कि हेलीकॉप्टर से उन्हें वहीं भोजन पहुंचा दिया जाए। यही सोचकर जिला व पुलिस प्रशासन की टीम इस काम में लग गई। यह लोग पुलिस लाइन से भोजन पैकेटों में हेलीकॉप्टर में भरते हैं और बाढ़ से घिरे गांवों में जाकर उन्हें गिराते हैं।
भूख से बिलबिलाते लोग हेलीकप्टर देखते ही दौड़ लगाते हैं
पिछले तीन दिनों से भोजन से बिलबिलाते लोगों के गांवों में जैसे ही हेलीकॉप्टर पहुंचता है। भोजन का पैकेट लूटने के लिए लोग दौड़ लगाते हैं। जैसे ही लोगों को हेलीकॉप्टर के गड़गड़ाने की आवाज सुनाई देती है। वे आवाज की तरफ दौड़ लगाना शुरु कर देते हैं, और फिर जैसे ही हेलीकॉप्टर दिखता है वे उसके नीचे पहुंचने की कोशिश करते हैं। हेलीकाप्टर से भोजन मिलने की आस में लोग घण्टों इंतजार कर रहे हैं।
आग जलाने के लिए माचिस तक नहीं है, कच्चा आटा खा रहे हैं
हेलीकॉप्टर से राशन भी गिराया जा रहा है लेकिन कई गांवों में चूल्हा जलाने के लिए न तो सूखी लकड़ी बची है और न कंडे। आग जलाने के लिए माचिस तक नहीं है। लोगों का जीवन अभी भी सुरक्षित नहीं है। बाढ़ का पानी शुक्रवार शाम तक घटना शुरु हो जाएगा और इसको पूरी तरह घटने में हफ्तों लगेंगे, तब इनका जीवन भगवान भरोसे रहना तय माना जा रहा है।