मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में ग्राहकों और दुकानदारों के बीच होने वाले विवाद सुलझाने के लिए 16 मध्यस्थों की नियुक्ति की जाएगी। सभी जिला उपभोक्ता आयोग के लिए काम करेंगे। इसके कारण कंजूमर फोरम पर लोड कम होगा और लोगों को फटाफट न्याय मिल पाएगा।
डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम के अंतर्गत मध्यस्थों की भूमिका बिल्कुल वैसी ही होगी जैसी पारिवारिक विवादों में होती है। शिकायत प्राप्त होते ही ग्राहक और दुकानदार की काउंसलिंग की जाएगी। कोशिश की जाएगी कि दोनों पक्ष आपसी सहमति से मामले का निपटारा कर ले। इसके लिए दोनों को कानूनी पहलू से समझाए जाएंगे। मध्यस्थ के माध्यम से होने वाले राजीनामे को उपभोक्ता फोरम की तरफ से वैधानिक मान्यता दी जाएगी।
इंदौर उपभोक्ता फोरम में 8000 मामले पेंडिंग है
इंदौर में दो जिला उपभोक्ता आयोग हैं। इनमें लगभग आठ हजार प्रकरण लंबित हैं। हालत यह है कि एक माह में जितने प्रकरणों का निराकरण होता है उससे कहीं ज्यादा नए प्रकरण प्रस्तुत हो जाते हैं। यही वजह है कि लंबित प्रकरणों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में हाल ही में हुए संशोधन के बाद राज्य उपभोक्ता आयोग ने लंबित प्रकरणों की संख्या में कमी लाने के प्रयास शुरू किए हैं। मध्यस्थता केंद्रों की स्थापना इसी प्रयास का एक हिस्सा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आयोग के समक्ष प्रस्तुत होने वाले आधे से ज्यादा प्रकरण ऐसे होते हैं जिनमें एक-दो बैठक में राजीनामा करवाया जा सकता है।