मध्य प्रदेश के धार जिले में कारम नदी पर बांध के टूटने का खतरा टल गया है। 13 अगस्त से लगातार यह जताया जा रहा है कि जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट लोगों की जान बचाने के लिए मौके पर मौजूद हैं। रात्रि विश्राम करने के लिए भी नहीं जा रहे हैं। जबकि सोशल मीडिया एक्टिविस्ट नितिन बंदेवार का कहना है कि तुलसीराम लोगों की जान बचाने के लिए नहीं बल्कि अपनी कुर्सी बचाने के लिए धार में डटे हुए थे।
304 करोड़ की लागत से बनने वाले बांध की पार में मोटी दरार आने और बांध को टूटने से बचाने के लिए ₹40 करोड़ खर्च करने के बाद धार और खरगोन जिले के 19 गांव के नागरिकों पर से खतरा टल गया है। अब समीक्षा और सरकार से जवाब तलब का समय शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश के कई प्रतिष्ठित समाचार संस्थान जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट को इसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार बता रहे हैं। पत्रकारों का दावा है कि उन्होंने जब श्री सिलावट से सवाल किए तो उन्होंने कोई ठोस जवाब नहीं दिया।
इस बांध के टेंडर में भ्रष्टाचार का खुलासा तो 2018 में ही हो गया था लेकिन ना तो कमलनाथ सरकार ने कोई कार्रवाई की और ना ही सत्ता परिवर्तन के बाद शिवराज सिंह चौहान सरकार ने। तुलसीराम सिलावट मध्यप्रदेश शासन में जल संसाधन मंत्री हैं। उनकी सीधी जिम्मेदारी बनती है। यदि यह बांध फूट जाता है, 19 गांव के ग्रामीणों को जान और माल का नुकसान हो जाता तो मध्य प्रदेश में सरकार को लेने के देने पड़ जाते हैं। सिलावट साहब का मंत्री पद जाना तो बिल्कुल निश्चित था।
चिंता की बात है कि इतनी बड़ी घटना को जाने और सब कुछ खुलासा हो जाने के बावजूद जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और इंजीनियरिंग चीफ एमएस डाबर इस खेल पर परदा डालने में जुटे हैं। 12 अगस्त से मंत्री स्वयं घटनास्थल पर हैं और उन्होंने बांध का 1-1 इंच नाप लिया है। इसके बावजूद कह रहे हैं कि जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई करेंगे।
जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट भी सीधे तौर पर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात से बचते दिखे। उन्होंने सिर्फ यही कहा कि जांच कमेटी बना दी गई है। हम दोषियों के खिलाफ एक्शन लेंगे, लेकिन सिलावट ने भी इस बात का जवाब नहीं दिया कि कॉन्ट्रैक्ट क्यों ट्रांसफर किए थे?
यही सवाल राजवर्धन सिंह दत्तीगांव से भी पूछा गया, लेकिन उन्होंने कहा कि इसका जवाब जल संसाधन मंत्री सिलावट ही देंगे।