जबलपुर। महिला एवं पुरुष के बीच समाज में अमान्य संबंधों के मामले में महिलाएं कानून का अपने तरीके से उपयोग करती हैं। एक महिला आरक्षक ने शपथ पत्र में इंस्पेक्टर संदीप अयाची को पिता तुल्य बताया था। अब उसी इंस्पेक्टर के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 के तहत मामला दर्ज करवा दिया।
पहले शिकायत की, फिर वापस ली और अब FIR
समाज ऐसे मामलों में दोनों पक्षों को जिम्मेदार मानता है परंतु कानूनी प्रक्रिया थोड़ी अलग है। जनवरी 2022 के अंतिम सप्ताह में यह मामला सबसे पहले सामने आया था। महिला आरक्षक ने एसपी को फोन लगाकर टीआई संदीप अयाची की शिकायत की थी। फिर स्वयं एक शपथ पत्र प्रस्तुत किया और अपनी शिकायत वापस ले ली। शपथ पत्र में महिला आरक्षक ने बताया कि उसकी सोचने समझने की क्षमता खत्म हो गई थी। उसने जो भी शिकायत की है सब गलत है। इसके बाद कुछ समय तक मामला शांत रहा और अब अगस्त 2022 में उसी महिला आरक्षक की शिकायत पर महिला थाने में दुराचार, अभद्रता करने और धमकी देने का मामला दर्ज कराया है।
टीआई संदीप अयाची की कुंडली में भी कम दोष नहीं है
बताते हैं कि यह कहानी बहुत पुरानी है। तब नरसिंहपुर की रहने वाली लड़की पढ़ाई कर रही थी। आज वही लड़की मध्य प्रदेश पुलिस में महिला आरक्षण है। अपने शपथ पत्र में खुद महिला आरक्षक ने बताया कि किस प्रकार तब से लेकर अब तक इंस्पेक्टर अयाची उसके जीवन में कदम कदम पर उसका साथ देते रहे। कितनी अजीब बात है कि दयालु इंस्पेक्टर पूरे जीवन भर सिर्फ एक ही लड़की के प्रति दयावान रहे।
लड़की नरसिंहपुर की रहने वाली है। पदस्थापना जबलपुर में, इंस्पेक्टर की पदस्थापना कटनी में, जनवरी वाली शिकायत भी कटनी में हुई थी जिसे एक शपथ पत्र के माध्यम से क्लोज कर दिया गया था। नोट करने वाली बात यह है कि शपथ पत्र सागर में बना। लड़की नरसिंहपुर से कटनी और शपथ पत्र सागर से कटनी आया।
खबर तो यह भी थी कि इंस्पेक्टर साहब झमेले से बचने के लिए जनवरी में डबरा तीर्थ यात्रा पर गए थे। डबरा तीर्थ यात्रा के चमत्कारी परिणाम मिले लेकिन 7 महीने में एक्सपायर हो गए। शायद मन्नत मांगते समय इंस्पेक्टर साहब ने जो संकल्प लिए थे, पूरे नहीं हुए।