जबलपुर में एक अधिकारी के यहां हुई छापामारी के मामले में कई खुलासे हो रहे हैं। लंका के महल से ज्यादा लग्जरी बंगला बनाने वाले इस अधिकारी की पकड़ इतनी अधिक मजबूत है कि छापे से पहले ही उसे सारी जानकारी मिल गई थी। नोटों से भरा हुआ एक लोडिंग ऑटो रात में ही उसके घर से रवाना हो गया था। इस ऑटो के अपने ठिकाने पर पहुंच जाने के बाद ही छापामार कार्रवाई शुरू हुई।
छापा मारने वाली एजेंसी के अधिकारी भले ही खुद को कितना भी मासूम बताएं परंतु छापे की खबर लीक होने की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। शक की सुई एजेंसी की तरफ इसलिए भी है क्योंकि खबर लीक हो जाने के बाद से लेकर अब तक एजेंसी ने किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। जबलपुर का अधिकारी कितना पावरफुल है, यह बताने की जरूरत नहीं। वह वर्षों से जबलपुर में लेटा हुआ था। उसके खिलाफ बड़े आंदोलन हुए, कई दिग्गजों ने जोर लगाया परंतु उसे जबलपुर से कोई नहीं हटा पाया।
लोगों का तो यह भी कहना है कि यह छापामार कार्रवाई एक प्रकार से बुरी नजर का टीका लगाया गया है ताकि लोगों को संतोष हो जाए कि अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई हुई है और उसकी अकूत संपत्ति को ठिकाने लगाया जा सके। एक विभागीय सूत्र का कहना है कि छापे में एजेंसी को जो कुछ भी मिला है यदि सरकार पूरा का पूरा रात कर ले तभी कोई प्रॉब्लम नहीं है, क्योंकि यह तो एक छोटा सा हिस्सा है।