सब कुछ ठीक तो चल रहा था, मध्यप्रदेश में मूसलाधार बारिश के कारण नदियों में बाढ़ आ गई थी और लोग अपनी जान बचाने के लिए यहां-वहां शरण ले रहे थे। प्रशासन अपना काम कर रहा था। हालात चिंताजनक लेकिन नियंत्रण में थे। आप स्वयं मां नर्मदा से निवेदन करने गए, परिवार को साथ लेकर गए। कितना अच्छा मैसेज आ रहा था, क्या जरूरत थी भुट्टे वाला फोटो डालने की।
सन 2018 में भी एक ऐसा ही फोटो डाला गया था। होमगार्ड के सैनिक आपको हाथों की पालकी में उठाकर ले जा रहे थे। बाढ़ ग्रस्त इलाका था। आपकी तबीयत ठीक नहीं थी। परिस्थिति बस जो कुछ भी करना पड़ा ठीक था, लेकिन क्या जरूरत थी उस फोटो को रिलीज करने की। 2018 में उस फोटो के कारण विरोधियों ने काफी तंज कसे। अब भुट्टे वाला फोटो के कारण ताने मारे जा रहे हैं।
लोग गलत बात नहीं कर रहे हैं। धार जिले में इतनी तनावपूर्ण स्थिति थी। पूरा मध्य प्रदेश धार और खरगोन जिले के 19 गांव के ग्रामीणों के लिए प्रार्थना कर रहा था। हर कोई चाहता था कि भ्रष्टाचार की पार टूट जाए लेकिन सभी प्रार्थना कर रहे थे कि ग्रामीण, उनका पशुधन और उनकी संपत्तियां सुरक्षित रहें। कितनी सूझबूझ के साथ संकट को टाल दिया गया।
आपको तत्काल राहत शिविरों में ठहरे ग्रामीणों से मिलने जाना चाहिए था। यही तो आपका स्वभाव है, यही आपकी पहचान भी है। सबको उम्मीद थी कि आप पीड़ित ग्रामीणों के पास जाएंगे। उन्हें हिम्मत देंगे। हम जानते हैं कि पटवारी और कलेक्टर काफी परेशान करते हैं लेकिन फिर भी जब आप कहते हैं की चिंता मत करो सरकार आपके साथ है, तो अच्छा लगता है। आप नहीं गए, वह चले गए, जिनकी उम्मीद नहीं थी।
चलते-चलते एक बात और मध्य प्रदेश की राजनीति में भुट्टे अशोक अशुभ हो गए हैं। कैलाश विजयवर्गीय ने भुट्टा पार्टी दी थी। उनकी मनोकामना पूरी नहीं हो पाई। कमलनाथ ने कॉर्न फेस्टिवल का आयोजन किया था। हाल ही में केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने भुट्टा के साथ एक मैसेज देने की कोशिश की थी परंतु अर्थ का अनर्थ हो गया था, और अब आप। मौसम अच्छा था, भुट्टा खाने का मन कर रहा था, खा लेते। फोटो वीडियो प्रसारित करके सबको बताने की क्या जरूरत थी। ✒ उपदेश अवस्थी