वैसे तो भारतीय संस्कृति में विवाह एक संस्कार है, जो जीवन पर्यंत के लिए होता है परंतु कानून में ऐसे बहुत सारे प्रावधान हैं जो पति-पत्नी के झगड़े को किसी दंड प्रक्रिया तक ले जाते हैं। दांपत्य जीवन में विवाद के दौरान पति-पत्नी एक दूसरे का खुलकर अपमान करते हैं, झूठे लांछन लगाते हैं। एक दूसरे के खिलाफ हिंसा और मानसिक प्रताड़ना के मामले दर्ज करवाए जाते हैं। सवाल यह है कि क्या पति-पत्नी एक दूसरे के विरुद्ध मानहानि का दावा ठोक सकते हैं।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 499 (अपवाद क्रमांक 8) की परिभाषा
किसी विधिपूर्ण अधिकारी के समक्ष किसी अन्य व्यक्ति द्वारा सद्भावनापूर्वक या बिना भेदभाव के कहे गए अपशब्द मानहानि का अपराध नहीं होगा लेकिन जानबूझकर कर इतना गंभीर झूठा लांछन लगाना जिसके कारण समाज में छवि प्रभावित हो जाए और लोक व्यवहार खतरे में हो, तब इसे अपराध माना जाएगा।
महत्वपूर्ण वाद- एमसी वर्गीस बनाम टीजे पोन्नम
वाद में उच्च न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया है कि पति-पत्नी को विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं उन दोनों के मध्य हुए विवादों के अपशब्द मानहानि का अपराध नहीं है। हाई कोर्ट के इस निर्णय से स्पष्ट हुआ कि यदि दोनों किसी सार्वजनिक स्थल पर भी एक दूसरे के प्रति अपशब्द का उपयोग करते हैं तो वह एक दूसरे की मानहानि नहीं माना जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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