चुगली, भारत का सबसे लोकप्रिय कर्म है। कुछ लोग तो चुगली करने के लिए अपना समय और पैसा भी खर्च कर देते हैं। चुगली में अनिवार्य रूप से किसी ना किसी व्यक्ति की निंदा की जा रही होती है। शायद इसीलिए चुगलखोर व्यक्ति को समाज में सम्मान नहीं मिलता लेकिन कई बार एक चुगली, किसी का नुकसान होने से बचा लेती है। आइए जानते हैं कि क्या चुगली करना भी मानहानि का अपराध होता है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 499 (अपवाद क्रमांक 10) की परिभाषा
किसी व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध सद्भावना-पूर्वक सावधान करना तब मानहानि का अपराध नहीं होगा जब ऐसी सावधानी या चेतावनी उस व्यक्ति की भलाई के लिए दी गई हो। जैसे कि, किसी कंपनी के डायरेक्टर को सूचित करना की जिस व्यक्ति की आप नियुक्ति करने वाले हैं उसका रिकॉर्ड अच्छा नहीं है। उसे पूर्व की नौकरी से भ्रष्टाचार के आरोप में निकला था। तब यह मानहानि का अपराध नहीं होगा।
आईपीसी 1860 की धारा 499 सजा का प्रावधान
लेकिन यदि उपरोक्त उदाहरण में मिथ्या चुगली की जाती है कि नियुक्ति पाने वाले व्यक्ति का रिकॉर्ड अच्छा नहीं है और इसके कारण ना केवल उस व्यक्ति की नियुक्ति रद्द हो जाती है बल्कि HR एजेंसी उसे ब्लैक लिस्ट कर देती है. तब यह चुगली IPC की धारा 499 के अंतर्गत अपराध होगा, जिसके लिए उसे धारा 500 के अंतर्गत 2 वर्ष का सादा कारावास या जुर्माने से अथवा दोनों से दंडित किया जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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