जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव शैलेंद्र सिंह एवं आयुक्त दीपक सिंह को अवमानना का नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है। मामला अनुदान प्राप्त कॉलेजों से 62 वर्ष की आयु में रिटायर किए गए प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों का है। यहां क्लिक करके पढ़िए हाईकोर्ट का वह आदेश जिसकी अवमानना हुई।
हाई कोर्ट ने 16 फरवरी, 2022 को अनुदान प्राप्त महाविद्यालय से 62 वर्ष में सेवानिवृत्त हुए प्राध्यापकों को 65 वर्ष तक की सेवा का पूरा वेतन प्रदान करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग को याचिकाकर्ताओं की सेवा से बाहर रहे दिनों की गणना और उसके आधार पर बनने वाला पूरा वेतन देने कहा था। कोर्ट ने 60 दिन के भीतर पूरी प्रक्रिया करने के निर्देश दिए थे। हाई कोर्ट ने कहा था कि वे प्रोफेसर्स जिन्हें 62 वर्ष में सेवानिवृत्त कर दिया गया और वे सेवा से बाहर हो गए, वे सभी इंटरवीनिंग पीरियड का पूरा वेतन पाने के हकदार हैं।
जबलपुर निवासी डा. आरएस सोहाने व अन्य की ओर से अधिवक्ता अभय पांडे ने कोर्ट को बताया कि आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग ने 10 जून, 2020 को एक आदेश जारी कर वर्ष 2016 से 2018 के बीच का पूरा वेतन देने से इन्कार कर दिया था। उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ताओं को जबरदस्ती 62 वर्ष में सेवानिवृत्ति दे दी गई, जिस कारण वे 65 वर्ष की आयु पूरा होने तक सेवा से बाहर रहे।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में भी एसएलपी दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को 65 वर्ष तक सेवा में बने रहने के आदेश दिए थे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने शासन को वेतन लीज करने के निर्देश भी दिए थे। जब आदेश का पालन नहीं हुआ तो अवमानना याचिका दायर की गई।