मध्य प्रदेश में सरकार की स्वरोजगार योजना को ठप करके सरकार को बदनाम करने और जनता में सरकार के प्रति आक्रोश पैदा करने की साजिश का खुलासा हुआ है। इस साजिश में मध्य प्रदेश शासन के कुछ अधिकारी और 10 संस्थाओं के शामिल होने की प्राथमिक जानकारी मिल रही है।
केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना के तहत मध्यप्रदेश के पचास हजार युवाओं को स्वरोजगार हेतु ट्रेनिंग देने के लिए 8.50 करोड़ रुपए दिए गए थे। मप्र राज्य कौशल विकास एवं रोजगार बोर्ड को इसकी नोडल एजेंसी बनाया गया था। मध्यप्रदेश में सारा कामकाज मप्र राज्य कौशल विकास एवं रोजगार बोर्ड को देखना था। बोर्ड ने 14 संस्थाओं को ट्रेनिंग के लिए अनुबंधित किया। इनमें से 10 संस्थाओं ने 19000 युवाओं को रजिस्टर्ड किया। उन्हें ट्रेनिंग नहीं दी बल्कि डाक्यूमेंट्स में ट्रेनिंग देना बता दिया। जिन्हें ट्रेनिंग नहीं मिली, उन्होंने शिकायत कर दी। बोर्ड की तरफ से मामले को दबाने की कोशिश की गई परंतु खुलासा हो ही गया।
29 जून 2022 को नोटिस दिया था, अब तक जवाब का इंतजार कर रहे हैं
सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले में 10 अधिकारियों की एक टीम ने मुख्य भूमिका निभाई है। षणमुख प्रिया मिश्रा, सीईओ, रोजगार निर्माण बोर्ड का कहना है कि ब्लैक लिस्टिंग और अनुबंध समाप्ति से पहले 14 एजेंसियों को 30 दिन का नोटिस दिया गया है। उनका जवाब मिलने के बाद हम कार्रवाई करेंगे। सवाल यह है कि 29 जून को जारी किए गए नोटिस कि जब आपका कितना इंतजार किया जाएगा। क्या रोजगार बोर्ड के कैलेंडर में गड़बड़ी है।
जिन्हें जनहित की रक्षा करनी है पढ़िए वह क्या कर रहे हैं
निगम मंडलों में नेताओं की नियुक्ति जन प्रतिनिधि के तौर पर की जाती है। श्री शैलेंद्र शर्मा को रोजगार निर्माण बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया है। राजनीतिक तौर पर इनकी जिम्मेदारी है कि यह सुनिश्चित करते कि सभी युवाओं को ट्रेनिंग मिलती और प्लेसमेंट भी। किसी भी गड़बड़ी को होने से पहले रोकना इन का कर्तव्य है परंतु श्री शैलेंद्र शर्मा भी वही बयान रहे हैं जो CEO द्वारा दिया गया। (मामले की जांच कराई है। जो गड़बड़ियां सामने आई, उनके आधार पर नोटिस भेजे हैं। फर्जीवाड़ा करने वाली एक भी संस्था बच नहीं पाएगी)।
घोटाला नहीं गंभीर अपराध है
यह मामला घोटाला नहीं है बल्कि एक गंभीर अपराध है। यदि केवल 3300 रुपए प्रति कैंडिडेट गड़बड़ी की बात होती तो और बात थी लेकिन इस ट्रेनिंग के जरिए 50,000 लोगों को असिस्टेंट इलेक्ट्रिशियन, प्लंबिंग, मिस्त्री और कंस्ट्रक्शन फिटर में शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग दी जानी थी। यही लोग केंद्र सरकार की नल जल योजना का मैदानी तौर पर संचालन करने वाले थे।
1. 3300 रुपए प्रति उम्मीदवार घोटाला किया गया।
2. 19000 लोगों को रोजगार से वंचित कर दिया गया।
3. नल जल योजना को विफल करने का प्रयास किया गया।
ना केवल 19000 लोग रोजगार से वंचित हुए बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की बदनामी हुई होगी क्योंकि नल जल योजना का ठीक प्रकार से संचालन नहीं हो पाएगा।