मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में एक अतिथि शिक्षक ने नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली। वह गरीब नहीं था, उसके पिता के पास करोड़ों की प्रॉपर्टी है लेकिन वह अपनी योग्यता के दम पर पहचान बनाना चाहता था। उसने दो बार पात्रता परीक्षा दी। पहली बार सरकार ने रद्द कर दी और दूसरी बात वह एक नंबर से पीछे रह गया। उसे उम्मीद थी कि अतिथि शिक्षकों का नियमितीकरण हो जाएगा परंतु जब अतिथि शिक्षकों को हटाया जाने लगा तो उसकी उम्मीद टूट गई।
रामनगर चौकी प्रभारी सुभाष नावड़े ने बताया कि मृतक की शिनाख्त शिवपुरम कॉलोनी निवासी आनंददत्त राजपाली, उम्र 33 वर्ष, पिता का नाम डॉक्टर ओम प्रकाश राजपाली के रूप में हुई है। वह घर से बाइक पर निकला था। नदी के पुल पर बाइक खड़ी कर कूद गया। सुबह 3 बजे का मामला है। पुलिस को जानकारी मिली तो रेस्क्यू टीम को नदी में उतारा। दोपहर 1 बजे शव बाहर निकला।
बताया जा रहा है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा में ये उसका दूसरा अटैम्प्ट था। वह सिर्फ एक नंबर से रह गया। इससे पहले की परीक्षा में उसका सिलेक्शन भी हो गया था, लेकिन सरकार ने भर्ती रद्द कर दी थी। बताया गया है कि वह जबसे रिजल्ट आया है तब से डिप्रेशन में था। पिछले दिनों जब नियुक्ति पत्र जारी होना शुरू हुए तो उसका डिप्रेशन और ज्यादा बढ़ गया था। नवीन शिक्षकों की नियुक्ति के कारण अतिथि शिक्षकों को अनुभव और योग्यता के बावजूद हटाया जा रहा है। इस कार्यवाही का भी उसके मन पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा था।
पिता बोले- मुझे कहता तो स्कूल खुलवा देता
मृतक अतिथि शिक्षक के पिता डॉ. ओमप्रकाश राजपाली का कहना है कि इससे पहले भी उसने परीक्षा दी थी। तब शिक्षक संवर्ग-1 में बेटे का चयन हो गया था, लेकिन बाद में सरकार ने यह परीक्षा रद्द कर दी। फिर दोबारा परीक्षा में वह एक नंबर से रह गया। इसी कारण वह लंबे समय से डिप्रेशन में था। डॉक्टर से इलाज भी चल रहा था, लेकिन उसने अचानक ऐसा कदम उठा लिया। हमारे पास करोड़ों की संपत्ति है। यदि वह कहता तो मैं हायर सेकंडरी स्कूल खुलवाकर उसे डायरेक्टर बनवा देता।