मध्य प्रदेश के खंडवा में दिनांक 30 जनवरी 2013 को 9 साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में मात्र 1 महीने के भीतर दरिंदे को मौत की सजा सुना दी गई थी। भारत की लोकप्रिय न्याय व्यवस्था के कारण अभी तक उसे फांसी नहीं लगाई गई है परंतु सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पुनः विचारण के बाद भी उसकी सजा-ए-मौत बरकरार है।
खंडवा मध्य प्रदेश के जिला अभियोजन अधिकारी चंद्रशेखर हुक्मलवार ने बताया कि सुरगांव जोशी में 30 जनवरी 2013 को नौ वर्षीय बालिका के साथ आरोपित 21 वर्षीय अनोखीलाल पुत्र सीताराम ने दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी थी। इस मामले में कोर्ट में चालान डायरी पेश होने के एक माह बाद ही आरोपित आनोखीलाल को चार मार्च 2013 को जिला एवं सत्र न्यायालय ने फांसी की सजा दी थी।
इस फैसले को अनोखीलाल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा। नियमानुसार सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को पुन: विचारण करने के लिए आदेश दिया था। मामले को जिला एवं सत्र न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था। इस मामले में विशेष न्यायालय पाक्सो अधिनियम न्यायाधीश प्राची पटेल ने सुनवाई की। बचाव पक्ष की ओर से अभियोजन पक्ष के नौ साक्षियों को बुलाया गया था। विचारण पूर्ण होने पर आरोपित अनोखीलाल को मृत्युदंड की सजा को यथावत रखा गया है।