भोपाल। जहां एक तरफ़ आज शिवराज सरकार कर्मचारियों को तोहफ़ा दे रही है वहीं दूसरी तरफ़ महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों को मायूसी हाथ लगी। अतिथि विद्वानों के नाम पर मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार में आई और ख़ुद सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान अतिथि विद्वानों के चर्चित आंदोलन में शिरकत करते हुए कहा था की अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित करना अब शिवराज की जिम्मेदारी है। सरकार में आते ही नियमितीकरण की प्रोसेस शुरू की जाएगी।
लेकिन नियमितीकरण तो दूर आज तक न वेतन बढ़ा और न ही कोई सुविधाएं मिली।प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए अतिथि विद्वान महासंघ ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए शिवराज सिंह चौहान से आग्रह किया की आप वादा क्यों भुल गए।अतिथि विद्वानों से किया वादा कब कब पूरा करेंगे। अब देखने वाली बात होगी आने वाले समय में शिवराज सरकार अतिथि विद्वानों के हित में कोई निर्णय लेती है अपने कहे अनुसार या विद्वानों के लिए उनका वादा सिर्फ सत्ता पाने के लिए था या वास्तव में विद्वानों का होगा उद्धार,समय का इंतज़ार करें।
अतिथि विद्वान भी उम्मीद लगाए आप की ओर देख रहे हैं माननीय मुख्यमंत्री जी,पिछले 5 साल से 1 रुपए भी मानदेय नहीं बढ़ा,26 साल से सेवा देते आ रहे अतिथि विद्वानों को कोई भत्ता नहीं मिलता,अतिथि विद्वानों के नाम पर आप सत्ता में आए हैं अब कम से कम विद्वानों को भत्ता तो दे दीजिए।
डॉ आशीष पांडेय, मीडिया प्रभारी अतिथि विद्वान महासंघ
जब नेता विपक्ष में होते हैं तो अतिथि विद्वानों की पीड़ा वेदना दिखाई देती है जब वही नेता कुर्सी पाते सरकार में आते हैं तो विद्वानों को नजरंदाज करते हैं।अतिथि विद्वानों को नियमित कर भविष्य सुरक्षित कर वादा पूरा करें शिवराज सिंह चौहान जी,प्रदेश के सरकारी कॉलेज को अतिथि विद्वान ही चला रहे हैं,जब सुविधाओं की बात आती है तो अतिथि विद्वानों को नजरंदाज कर दिया जाता है।
डॉ देवराज सिंह, अध्यक्ष, अतिथि विद्वान महासंघ