भोपाल। संचालक पशुपालन एवं डेयरी डॉ. आर.के. मेहिया और आईसीएआर निवेदी बेंगलुरु के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एस. पाटिल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पशुपालन विभाग के सभी सभी अधिकारियों को अफ्रीकन स्वाइन फीवर बीमारी और उसके नियंत्रण के उपायों के बारे में जानकारी दी।
संचालक ने सभी जिलों के अधिकारियों से उनके जिले में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की रोकथाम के लिए किए जा रहे उपायों और दवाओं की उपलब्धता की अद्यतन जानकारी ली। वर्तमान में रीवा जिले में बीमारी की पुष्टि हुई है। रीवा नगर के वार्ड क्रमांक-15 को एपी सेंटर घोषित करते हुए सूकरों के क्रय-विक्रय और परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही 10 किलोमीटर की परिधि में सतत मॉनिटरिंग के लिए विभिन्न दलों का गठन किया गया है। रीवा जिले में पदस्थ विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों के समस्त अवकाश (प्रसूति एवं मेडिकल अवकाश छोड़कर) निरस्त कर दिए गए हैं।
वर्चुअल बैठक में बताया गया कि यह सूकर प्रजाति की अत्यंत घातक और विषाणुजनित बीमारी है, जिसमें 90 से 100% मृत्यु की संभावना रहती है। लेकिन राहत की बात यह है कि यह बीमारी सूकर से मनुष्य और गौ-भैंस वंशीय, भेड़-बकरी आदि पशुओं में नहीं फैलती है। यह बीमारी केवल सूकर प्रजाति तक ही सीमित रहती है।
अफ्रीकन स्वाइन फीवर, संक्रमित सूकर से स्वस्थ सूकर के संपर्क में आने अथवा संक्रमित खून, भोजन, बिसरा आदि से फैलता है। जैव -वाहक के रूप में किलनी (सॉफ्ट टिक) से संक्रमण सबसे ज्यादा फैलता है।