मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित कृषि उपज मंडी की कैंटीन के ठेके के विरुद्ध प्रस्तुत की गई याचिका को स्वीकार करते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कृषि विभाग के प्रमुख सचिव, मध्य प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध संचालक, कलेक्टर, कृषि उपज मंडी समिति के पीठासीन अधिकारी व सचिव को नोटिस किए हैं। सवाल किया गया है कि टेंडर की प्रक्रिया में नियमों का पालन क्यों नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी जुहैब खान व शिराज खान की ओर से अधिवक्ता वेद प्रकाश नेमा व विभा पाठक ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि समिति के प्रिसाइडिंग आफीसर पीके सेनगुप्ता व सचिव मनोज चौकीकर ने ती अगस्त को मंडी में कैंटीन क्रमांक-दो के लिए टेंडर जारी किया था। यह ठेका तीन वर्ष के लिए दिया जाना है।
जबलपुर मंडी कैंटीन के टेंडर में किन नियमों का उल्लंघन हुआ है
नियमानुसार टेंडर का विज्ञापन शहर के दो प्रमुख समाचार पत्रों में नहीं किया गया। इसके अलावा नियम के विपरीत विज्ञापन में शर्तों का प्रकाशन भी नहीं किया गया और न ही विज्ञापन की कापी नगर निगम, तहसील व जनपद पंचायत कार्यालय में चस्पा की गई। यह पूरी प्रक्रिया भूमि संरचना नियम-पांच के उपनियम एक व दो का खुला उल्लंघन है।
क्या मंडी सचिव टेंडर की शर्तों में परिवर्तन कर सकता है
इस बार एक नई शर्त भी जोड़ी गई है। इसके तहत ठेका उसे ही दिया जाएगा जिसके पास किसी शासकीय कार्यालय में कैंटीन संचालन का छह वर्ष का अनुभव हो। यह शर्त जोड़ने का उपरोक्त दोनों अधिकारियों को अधिकार नहीं है। अतएव, टेंडर प्रक्रिया को निरस्त कर नए सिरे से निविदा जारी की जाए।