भोपाल। शिवराज सिंह सरकार के मंत्री समूह के निर्देशन में तैयार किए गए प्रमोशन के नए नियमों से सामान्य वर्ग के कर्मचारी संतुष्ट नहीं है। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार द्वारा तैयार किए गए नए नियम कर्मचारियों के बीच भेदभाव की स्थिति उत्पन्न करेंगे। शासकीय कार्यालयों में जातिवाद के कारण तनाव की स्थिति बनी रहेगी।
मसौदा लीक नहीं हुआ, सरकार ने सर्वे कराया है
विधानसभा चुनाव 2023 से पहले शिवराज सिंह चौहान सरकार को कर्मचारी नेताओं नहीं बल्कि कर्मचारियों की चिंता है। सबको पता है कि चुनाव को कर्मचारी प्रभावित करेंगे इसलिए प्रमोशन में आरक्षण का मामला सुलझाने की कोशिश की जा रही है। एक ड्राफ्ट तैयार किया गया और फिर उसके लव्वोलुआब को कुछ पत्रकारों से साझा किया गया ताकि मामला सुर्खियों में आ जाए और कर्मचारियों का मूड पता चल सके। प्रयोग सफल रहा। धीरे-धीरे कर्मचारियों की प्रतिक्रिया सामने आने लगी है।
सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को क्या आपत्ति है, पढ़िए
आरक्षित वर्ग के पद उपलब्ध न होने पर अनुसूचित जाति-जनजाति और अनारक्षित वर्ग को मिलाकर जो संयुक्त सूची बनेगी, उसमें से पदोन्नति दी जाएगी। जबकि, आरक्षित वर्ग के पदों के लिए यदि लोक सेवक उपलब्ध नहीं होते हैं तो ये पद रिक्त ही रखे जाएंगे। (सामान्य वर्ग के कर्मचारियों का कहना है कि यह समानता के सिद्धांत के विरुद्ध एवं अन्याय पूर्ण है।)
नियम लागू करने से पहले सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करना होगा
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज गोरकेला का कहना है कि नए नियम बनाने पर कोई रोक नहीं है लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करना होगा। वहीं, पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता अजय मिश्रा का कहना है कि यथास्थिति बनाए रखने का मतलब यह नहीं है कि नए नियम नहीं बनाए जा सकते हैं। सरकार को नए नियम बनाने का अधिकार है। इसके आधार पर कार्रवाई भी की जा सकती है।