भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के अनुसार 1 लाख सरकारी नौकरियां देने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है। सभी विभागों से रिक्त पदों की जानकारी मांगी गई है। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार जिन कर्मचारियों को स्थाई कर्मचारी का दर्जा मिला था, उन्हें नियमित नहीं किया जाएगा। सबसे पहले नई भर्ती होगी। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में लगभग 45000 कर्मचारी नियमितीकरण आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश में नियमित कर्मचारियों की भर्ती पर प्रतिबंध के कारण दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। इन्हें 2016 में स्थाई कर्मी घोषित किया था लेकिन महंगाई भत्ता का लाभ नहीं दिया जा रहा है। जबकि, ये नियमित कर्मचारियों की तरह की काम करते हैं। इस आधार पर कुछ कर्मचारियों ने याचिका दायर की थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिए थे कि इन्हें रिक्त स्थानों पर योग्यता अनुसार नियमित किया जाए या फिर नियमित वेतनमान का लाभ दिया जाए। इस निर्देश की रोशनी में कुछ विभागों ने स्थायीकर्मियों को नियमित भी किया। आठ अगस्त 2022 को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के उप सचिव राकेश कुशरे ने विभाग में कार्यरत स्थायीकर्मियों को सातवां वेतनमान का न्यूनतम वेतन दिए जाने की अनुमति दी है।
अन्य विभागों ने इसको लेकर अभी आदेश जारी नहीं किए हैं। इसको लेकर कर्मचारियों में नाराजगी भी है और प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के अध्यक्ष अशोक पांडे ने कहा कि प्रदेश में 45 हजार से ज्यादा स्थायीकर्मियों को नियमित किया जाना है। इसके लिए विभिन्न् विभागों में पद भी रिक्त हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कोई प्रक्रिया नहीं की जा रही है। इसको लेकर हम लगातार मांग भी कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम दिए ज्ञापन में रिक्त पदों पर पहले स्थायीकर्मियों को नियमित करके भर्ती प्रक्रिया करने, अनुकंपा नियुक्ति और महंगाई भत्ते का लाभ देने की मांग की है।