मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित उच्च न्यायालय ने छिंदवाड़ा में सोलर वाटर हीटिंग सिस्टम के ठेके के मामले में प्रस्तुत याचिका को स्वीकार करते हुए नोटिस जारी करके पूछा है कि मूल निविदा की शर्त में परिवर्तन क्यों किया गया। किस कानून के तहत निविदा जारी करने के बाद उसमें परिवर्तन किया जाता है।
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता चंदिया उमरिया निवासी दिनेश पांडे की ओर से अधिवक्ता दिनेश कुमार उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आदिम जाति कल्याण विभाग, छिंदवाड़ा द्वारा जारी निविदा-प्रपत्र में प्रावधान किया गया था कि भारत का कोई भी नागरिक जिसके पास निर्धारित योग्यता हो वह निविदा प्रस्तुत कर सकता है।
निविदा प्रक्रिया शुरू होने के बाद अधिकारियों ने अचानक एक नई शर्त जोड़ दी। निर्धारित किया गया कि केवल वही ठेकेदार योग्य माना जाएगा जिसे मध्यप्रदेश में काम करने का अनुभव हो। चूंकि यह अतिरिक्त शर्त मूल निविदा-प्रपत्र की शर्त के विपरीत है, अत: चुनौती दी गई। इस शर्त से भंडार-क्रय नियम का भी उल्लंघन हुआ है।
मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय ने याचिका को सुनवाई के योग्य पाते हुए आदिम जाति कल्याण विभाग, छिंदवाड़ा सहित अन्य को नोटिस जारी किए गए हैं। जवाब के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है।