जबलपुर। मध्य प्रदेश स्टेट जीएसटी द्वारा एक व्यापारी पर लगाया गया लगभग ₹700000 का जुर्माना मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा निरस्त कर दिया गया। न्यायमूर्ति सुजय पाल व न्यायाधीश प्रकाश चंद्र गुप्ता की युगलपीठ ने जुर्माना निरस्त करते हुए स्टेट जीएसटी की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें दावा किया गया था कि व्यापारी टैक्स चोरी करना चाहता है।
दयाशंकर सिंह को डिंडौरी में एक कालेज में प्रयोगशाला, क्लास रूम बनाने का सरकारी ठेका मिला था। रायपुर से स्टील बुलाने का आर्डर दिया और इसका ई-वे बिल 17 मई को तैयार हुआ। ट्रक माल लेकर 18 मई को निकला, उसे 19 मई की रात 12 बजे तक माल पहुंचाने का ई-वे बिल था। रास्ते में वाहन खराब हो गया, इसे ठीक कर वह वापस रवाना हुआ तो वह 20 मई की सुबह साढ़े चार बजे गंतव्य पर पहुंचा।
यहां जांच के दौरान ई-वे बिल देखने पर विभागीय अधिकारियों ने वाहन को रोक लिया और 6.82 लाख रुपए पेनाल्टी लगा दी। जीएसटी अधिकारियों का कहना था कि ई वे बिल की निर्धारित तारीख के 4:30 घंटे बाद माल पहुंचा। इस प्रकार व्यापारी द्वारा टैक्स की चोरी की गई। व्यापारी की ओर से अधिवक्ता अभिषेक ध्यानी ने हाईकोर्ट को बताया कि रास्ते में ट्रक खराब हो गया था इसके कारण देरी हुई। इसके बारे में जीएसटी अधिकारियों को बताया गया था। तरक्की रिपेयरिंग का बिल भी प्रस्तुत किया गया था, परंतु अधिकारी मानने को तैयार नहीं थे।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को बताया गया कि जीएसटी एक्ट के तहत प्रदेश में अभी तक ट्रिब्यूनल (अपीलीय अधिकरण) का गठन नहीं किया गया है। इसलिए करदाता के पास हाई कोर्ट आने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति सुजय पाल व न्यायाधीश प्रकाश चंद्र गुप्ता की युगलपीठ ने स्टेट जीएसटी द्वारा लगाया गया जुर्माना निरस्त करते हुए आदेश दिया कि जमा कराई गई जुर्माने की राशि 30 दिन के भीतर वापस करें अन्यथा 6% ब्याज का भुगतान करना होगा।