बाल विवाह के मामले में इसके संपन्न होने से पहले इसे रोका जाना महत्वपूर्ण होता है। कई बार आपने समाचारों में सुना होगा प्रशासन की टीम को पहुंचने में देरी हो जाती है और बाल विवाह संपन्न हो जाता है। सवाल यह है कि जब बाल विवाह गैर-कानूनी है तो फिर विवाह संपन्न हो जाने के बाद क्या होता है।
जब प्रशासन बाल विवाह को रोक नहीं पता है एवं दोनों नाबालिग लड़का-लड़की की शादी हो जाती है तब यह विवाह बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 03 की उपधारा (1) के अनुसार शुन्यकरणीय होगा। यानी ऐसे विवाह को प्रशासन द्वारा अमान्य घोषित कर दिया जाएगा। इसके बाद भी यदि दोनों साथ रहते हैं तो ऐसे जोड़े को विवाहित दंपति नहीं बल्कि लिव इन पार्टनर कहा जाएगा, और किसी भी स्थिति में शारीरिक संबंध गैरकानूनी एवं दंडनीय अपराध होगा।
बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 12 की परिभाषा
जहाँ दोनों वैवाहिक पक्षकार में से एक नाबालिग हो एवं निम्न प्रकार से विवाह सम्पन हुआ है तब शून्य (अवैध) होगा :-
• किसी को जबर्दस्ती ले जाकर शादी करना या बहला-फुसलाकर कर विवाह करना।
• बल पूर्वक या धोखेबाजी से शादी करना।
• विवाह के प्रयोजन से बेचना या अपहरण, व्यापहरण करना।
इस अपराध की शिकायत कैसे दर्ज होगी जानिए:-
अगर कोई व्यक्ति इस तरह से विवाह मात्र करता है तब ऐसे व्यक्ति की शिकायत कोई भी व्यक्ति, संरक्षक (माता पिता आदि), कोई संगठन, संस्था आदि प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट को शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
"यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं इस अपराध के लिए दो वर्ष की कारावास या एक लाख रुपए जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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