वाल्मीकि रामायण में वर्णन है कि सुग्रीव जब माता सीता की खोज में वानर वीरों को पृथ्वी की अलग-अलग दिशाओं में भेज रहे थे, तब उन्हें यह भी बता रहे थे कि तुम्हें कहां क्या दिखाई देगा, कौन सा देश मिलेगा, कैसे पहाड़ और वनस्पति मिलेंगे। कहां जाना चाहिए और कहां नहीं जाना चाहिए।
प्रभु श्रीराम सुग्रीव का ये भगौलिक ज्ञान देखकर हतप्रभ थे। उन्होंने सुग्रीव से पूछा कि सुग्रीव तुमको ये सब कैसे पता। तो सुग्रीव ने उनसे कहा कि, जब बाली से अपने प्राणों की रक्षा करने के लिए भयभीत होकर में भाग रहा था। यहां वहां छुपने के लिए एक सुरक्षित स्थान की तलाश कर रहा था। इस प्रक्रिया में मैंने पूरी पृथ्वी का भ्रमण कर लिया था। इसके कारण मुझे पृथ्वी के भूगोल का पूरा ज्ञान है।
जरा सोचिए, यदि बाली और सुग्रीव में युद्ध ना हुआ होता। यदि सुग्रीव की पराजय ना होती, यदि वह अपने प्राणों की रक्षा के लिए मैदान छोड़कर भागते नहीं, तो क्या उन्हें पृथ्वी के भूगोल का ज्ञान हो पाता और यदि सुग्रीव का भूगोल का ज्ञान ना होता तो माता सीता का पता लगाना कितना मुश्किल होता।
इसीलिए किसी ने कहा है कि सफलता के लिए यह तीनों अनिवार्य हैं:-
अनुकूलता भोजन है, प्रतिकूलता विटामिन और चुनौतियां प्रोटीन है।