ये तो हम सभी जानते हैं कि 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था एवं आज हम भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम,1947 का 75वाँ स्वतंत्रता दिवस आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं, हम राष्ट्रीय ध्वज फहराकर आजादी का उत्सव मनाते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि राष्ट्रीय ध्वज कब हमारा राष्ट्रीय ध्वज बना क्या है इसका सम्पूर्ण इतिहास जानिए।
राष्ट्रीय ध्वज की पृष्ठभूमि:-
18 अगस्त 1907 जर्मनी के एक समारोह में क्रांतिकारी महिला श्रीमती कामा ने भाषण देते हुए अचानक एक ध्वज निकाल कर फहरा दिया और यह घोषणा की कि यह भारत की स्वतंत्रता का पहला ध्वज हैं। उस समय यह ध्वज लाल, हरे और पीले रंग की तिरछी धारियों वाला था एवं ऊपर की लाल धारी में कमल का फूल और सात सितारे बने हुए थे। बीच की पीली धारी में गहरे नीले रंग से वन्दे मातरम् लिखा था एवं हरी धारी में सूरज, चांद व तारा अंकित था।
इसके बाद सन् 1917 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक एवं एनी बेसेन्ट के होम रूल आंदोलन ने एक नए ध्वज को जन्म दिया जिसमें पाँच लाल एवं चार हरी तिरछी पट्टिया थी। बीच में लाल तारे बने हुए थे। दाएं कोने में यूनियन जैक का चित्र ओर बाएं कोने में तारे के साथ चांद का चित्र था।
यूनियन जैक के चित्र के कारण कुछ राष्ट्रीय नेताओ ने आपत्ति उठाई तब महात्मा गांधी जी द्वारा इस ध्वज को भी बदल दिया गया। नए ध्वज में लाल और हरे रंग की दो पत्तिया रखी गई थी एवं लाला हंसराज के सुझाव पर ध्वज में एक चरखे का चित्र भी लगाया गया। ध्वज में लाल रंग हिन्दुओ का प्रतिक था एवं हरा रंग मुसलमानों का। लेकिन भारत में हिन्दू मुसलमानों के साथ साथ अन्य धर्मावलम्बी भी रहते थे एवं उन धर्मविलम्बियों के लिए सफेद रंग को स्थान दिया गया।
सन् 1931 में एक बार फिर एक समिति बनाई इस समिति ने एक ही रंग का ध्वज रखने का प्रस्ताव दिया ओर वह रंग था केसरिया। लेकिन समय के साथ बहुत बदलाव किए गए एवं अब हमारे ध्वज में तीन रंग को स्थान दे दिया है केसरिया, सफेद, हरा।
1.केसरिया रंग:- त्याग एवं बलिदान का प्रतीक हैं।
2. सफेद रंग:- सत्य एवं शांति का प्रतीक हैं।
3. हरा रंग:- विश्वास एवं वीरता का प्रतीक हैं।
एवं सफेद पट्टी में गहरे नीले रंग का अशोक चक्र होता है।
अन्तत: 22 जुलाई 1947 को तिरंगे ध्वज को हमारा राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार ही कर लिया।
लेखक बीआर अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665